दिल्ली के 10 बड़े प्राइवेट अस्पतालों में खाली नहीं है एक भी कोरोना वेंटिलेटर - ventilator for corona patients
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए जितने वेंटिलेटर आरक्षित किए गए थे. उनमें से केवल 27 प्रतिशत ही भरे हैं. जबकि 63 प्रतिशत वेंटिलेटर अभी भी खाली हैं. खास बात ये है कि जहां वेंटिलेटर खाली हैं वो ज्यादातर सरकारी या निजी क्षेत्र के छोटे अस्पताल हैं. वहीं दिल्ली के निजी क्षेत्र के 10 बड़े अस्पतालों में कोरोना के लिए आरक्षित सभी वेंटिलेटर भरे हुए हैं.
दिल्ली कोरोना अस्पताल
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Published : Aug 20, 2020, 2:29 PM IST
नई दिल्ली: राजधानी के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए काफी अच्छी सुविधा है, लेकिन इसके बाद भी लोगों का भरोसा निजी अस्पतालों पर ही ज्यादा दिखाई दे रहा है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम हो रही है. वहीं दिल्ली के निजी क्षेत्र के 10 बड़े अस्पतालों में कोरोना के लिए आरक्षित सभी वेंटिलेटर भरे हुए हैं.
बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भरे वेंटिलेटर
27 प्रतिशत वेंटिलेटर हैं फुल
दिल्ली में कोरोना के मामले कम होने के बाद एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. राजधानी में अब एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर एक बार फिर 11 हजार को पार कर गई है, लेकिन इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम ही है.
दिल्ली हेल्थ बुलेटिन
अगर बात वेंटिलेटर की करें तो दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना के लिए जितने वेंटिलेटर आरक्षित किए गए थे. उनमें से केवल 27 प्रतिशत ही भरे हैं. जबकि 63 प्रतिशत वेंटिलेटर अभी भी खाली हैं. खास बात ये है कि जहां वेंटिलेटर खाली हैं वो ज्यादातर सरकारी या निजी क्षेत्र के छोटे अस्पताल हैं.
दो हप्तों में बढे मरीज
दिल्ली सरकार की 'दिल्ली फाइट्स कोरोना' वेबसाइट के मुताबिक जो 27 प्रतिशत वेंटिलेटर भरे हुए हैं. उसमें 5 से 7 प्रतिशत बेड बीते दो हफ्ते में भरे हैं. यानी की 5 अगस्त से जब दोबारा कोरोना वायरस के केस बढ़ने शुरू हुए, तो कोविड वार्ड और वेंटिलेटर में भी इनकी संख्या बढ़ने लगी. अगर दिल्ली के 10 बड़े प्राइवेट अस्पतालों की बात करें तो यहां कोविड मरीजों के लिए कुल 91 वेंटिलेटर हैं. इनमें से अब एक भी बेड खाली नहीं है.