नई दिल्ली: दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसियों में से एक नॉर्थ एमसीडी (North Delhi Municipal Corporation) इन दिनों आर्थिक बदहाली की जमकर मार झेल रही है. लेकिन इस आर्थिक बदहाली की मार के पीछे निगम की अपनी भी काफी सारी गलतियां हैं. दरअसल पहली नजर में देखें तो नॉर्थ एमसीडी की आमदनी नहीं प्रबंधन में ही गड़बड़ नजर आती है. प्रमुख रूप से नॉर्थ एमसीडी दिल्ली की बहुत बड़ी आबादी को बड़े स्तर पर स्वच्छता, सफाई और कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराती है.
नॉर्थ एमसीडी की आय का प्रमुख साधन संपत्ति कर है, जिससे निगम को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके बाद निगम को पार्किंग, विज्ञापन और टोल टैक्स के माध्यम से भी राजस्व की प्राप्ति होती है. जबकि बाजारों के आने वाले कमर्शियल टैक्स, लाइसेंस फीस और अन्य साधन भी निगम के राजस्व का स्रोत है.
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नॉर्थ एमसीडी की वर्तमान समय में आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण निगम का जरूरत से ज्यादा दिल्ली सरकार के ऊपर निर्भर होना है. दरअसल निगम अपने खर्चों के मुताबिक अपनी आमदनी को अभी तक बढ़ा नहीं पाई है. जिसकी वजह से उसे लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान समय में निगम का सालाना खर्च तकरीबन 6 हजार करोड़ के आसपास है. जबकि उसकी आमदनी 2 हजार 500 सौ करोड़ से भी कम है. ऐसे में हर साल निगम को 3 हजार 500 सौ करोड़ की अतिरिक्त आवश्यकता होती है. जिसमें से निगम को एक बड़ा हिस्सा दिल्ली सरकार के द्वारा मिलता है. लेकिन दिल्ली सरकार के द्वारा लगातार फंड के लिए निगम को न सिर्फ परेशान किया जाता है बल्कि फंड जबरन रोका भी जाता है.
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आपको बता दें कि, वित्तिय संकट से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी की वार्षीक आय 2 हजार 470 करोड़ 58 लाख रुपए है. जबकि खर्चा 6 हजार करोड़ का है. इसमें लगभग 3 हजार 763 करोड़ रुपए कर्मचारियों का सालाना वेतन ही है. बता दें कि हर साल निगम का वित्तिय घाटा बढ़ता ही जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो अगले साल होने वाले निगम की नई सरकार पर लगभग 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा. इस आर्थिक बदहाली और बढ़ते फिजिकल डेफिसेट के कारण ही निगम अलग-अलग करों की दरें बढ़ा रहा है. जिसका सीधा असर दिल्ली में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है.
North MCD के आय के स्रोत
- बाहरी आय 873.55 करोड़ रुपए
- टैक्स से होने वाली राजस्व की प्राप्ति 1762.92 करोड़ रुपए
- किराया व जुर्माना 32.50 करोड़ रुपए
- अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले राजस्व 852.01 करोड़ रुपए