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शहीद के परिजनों को भूले, सम्मान के लिए भटक रहे परिजन, सौरभ कटारा को नहीं दिया शहीद का दर्जा - saurabh katara of bharatpur

दिसंबर 2019 में भरतपुर के सौरभ कटारा जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा इलाके में हुए बम विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान वे शहीद हो गए. इसके बाद उनके परिवार को सरकार से तरफ से कोई मदद नहीं मिली. अब सरकार सौरभ को शहीद का दर्जा देने से इनकार कर रही (No martyr status to Saurabh Katara) है. इससे शहीद की पत्नी, माता-पिता परेशान हैं. वे सांसदों और रक्षा मंत्री से भी इस बारे में मिल चुके हैं, लेकिन ढाई साल बाद भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.

Rajasthan Hindi News
सौरभ कटारा का परिवार

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Published : Jul 15, 2022, 10:55 PM IST

भरतपुर. ढाई साल पहले नरेश कटारा का बेटा और पूनम के पति सौरभ कटारा ने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए. शहीद को पूरे सैनिक सम्मान के साथ हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी. लेकिन ढाई साल बाद भी सरकार की ओर से शहीद की वीरांगना को कोई मदद नहीं मिल पाई है. वीरांगना और शहीद के माता-पिता ढाई साल से स्थानीय प्रशासन, सांसद और रक्षा मंत्री तक का कई बार दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं (No help to martyr Saurabh Katara family) मिला. हालात ये हैं कि ढाई साल बाद अब सरकार शहीद सौरभ कटारा को शहीद का दर्जा देने से ही इनकार कर रही है. वीरांगना और माता-पिता अब अपने वीर सपूत को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.

शहीद सौरभ कटारा के पिता नरेश कटारा ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जब तक बेटा सेना में सेवा करता रहा, तब तक उसको सम्मान मिलता रहा. लेकिन उसके शहीद होने के ढाई साल गुजरने के बाद शहादत का दर्जा देने से भी इनकार कर रहे हैं. कटारा ने कहा कि पहले सभी लोग आश्वासन देते रहे कि शहीद को मिलने वाली सभी सहायता प्रदान की जाएगी. पहले आश्वासन के नाम पर धोखा देते रहे लेकिन अब कोई सुनवाई नहीं हो रही.

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ये है तर्क: शहीद के पिता ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का तर्क है कि आपका बेटा गोली से नहीं मरा बल्कि ब्लास्ट में मरा था. इसलिए उसे शहीद नहीं माना जा सकता और ना ही शहीद को मिलने वाली सहायता प्रदान की जा सकती है. शहीद का दर्जा नहीं मिलने से वीरांगना को भी कोई मदद नहीं मिली है. दुखी मन से कटारा ने कहा कि देश के लिए बेटा न्योछावर कर दिया. उसके बाद भी यदि उसे शहीद का सम्मान नहीं मिले, तो ऐसी शहादत का क्या फायदा.

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डालेंगे दिल्ली में डेरा: कटारा ने कहा कि अब वह दिल्ली जाकर रक्षा मंत्रालय के सामने डेरा डालेंगे. जब तक बेटे को शहीद का दर्जा नहीं मिल जाता और उसकी वीरांगना को सभी सहायता नहीं मिल जाती, तब तक वह दिल्ली में ही डटे रहेंगे. कटारा ने कहा कि सरकार अपना पेट भरने में लगी हुई है. शहीद और शहीद के परिवार के लिए कुछ नहीं करती. सब बनावटी बातें करते हैं. हालात यह है कि ढाई साल बाद भी शहीद सौरभ कटारा का शहीद स्मारक भी तैयार नहीं हो सका है.

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गौरतलब है कि जिले के रूपवास क्षेत्र के बरौली ब्राह्मण गांव निवासी सौरभ कटारा की 8 दिसंबर, 2019 को पूनम के साथ शादी हुई थी. शादी के बाद वह ड्यूटी पर चला गया. सौरभ कटारा जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा इलाके में हुए बम विस्फोट में घायल हो गया और 24 दिसंबर, 2019 को उपचार के दौरान सेना के अस्पताल में शहीद हो गया. यानी शादी के महज 17 दिन बाद ही सौरभ कटारा ने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए थे. तब से अब तक शहीद सौरभ के पूर्व सैनिक पिता, माता और वीरांगना शहादत के सम्मान के लिए सरकार के चक्कर काट रहे हैं.

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