भरतपुर. ढाई साल पहले नरेश कटारा का बेटा और पूनम के पति सौरभ कटारा ने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए. शहीद को पूरे सैनिक सम्मान के साथ हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी. लेकिन ढाई साल बाद भी सरकार की ओर से शहीद की वीरांगना को कोई मदद नहीं मिल पाई है. वीरांगना और शहीद के माता-पिता ढाई साल से स्थानीय प्रशासन, सांसद और रक्षा मंत्री तक का कई बार दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं (No help to martyr Saurabh Katara family) मिला. हालात ये हैं कि ढाई साल बाद अब सरकार शहीद सौरभ कटारा को शहीद का दर्जा देने से ही इनकार कर रही है. वीरांगना और माता-पिता अब अपने वीर सपूत को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.
शहीद सौरभ कटारा के पिता नरेश कटारा ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जब तक बेटा सेना में सेवा करता रहा, तब तक उसको सम्मान मिलता रहा. लेकिन उसके शहीद होने के ढाई साल गुजरने के बाद शहादत का दर्जा देने से भी इनकार कर रहे हैं. कटारा ने कहा कि पहले सभी लोग आश्वासन देते रहे कि शहीद को मिलने वाली सभी सहायता प्रदान की जाएगी. पहले आश्वासन के नाम पर धोखा देते रहे लेकिन अब कोई सुनवाई नहीं हो रही.
पढ़ें:सुबह पत्नी से कहा- 'ड्यूटी से लौटकर करूंगा बात, शाम में फोन आया.. वो शहीद हो गए'
ये है तर्क: शहीद के पिता ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का तर्क है कि आपका बेटा गोली से नहीं मरा बल्कि ब्लास्ट में मरा था. इसलिए उसे शहीद नहीं माना जा सकता और ना ही शहीद को मिलने वाली सहायता प्रदान की जा सकती है. शहीद का दर्जा नहीं मिलने से वीरांगना को भी कोई मदद नहीं मिली है. दुखी मन से कटारा ने कहा कि देश के लिए बेटा न्योछावर कर दिया. उसके बाद भी यदि उसे शहीद का सम्मान नहीं मिले, तो ऐसी शहादत का क्या फायदा.