नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मॉब लिंचिंग के मामलों को दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन बेहद गंभीरता से ले रहा है. कमीशन न केवल इन मामलों की रिपोर्ट समय-समय पर पुलिस प्रशासन से लेता है. दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन ने एक चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार से मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को दी जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर बीस लाख रुपये किये जाने का सुझाव दिया है.
मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून की मांग माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने कहा है कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए सरकारी पॉलिसी नहीं बना हुआ अफसोसजनक है.
मॉब लिंचिंग के मामलों को लेकर माइनॉरिटी कमीशन गंभीर
देश के दूसरे हिस्सों की तरह राजधानी दिल्ली में भी बीते दो सालों में मॉब लिंचिंग के कई मामले सामने आ चुके हैं. दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन इस तरह के मामलों को लेकर बेहद गंभीर रहता है. मामले संज्ञान में आने के बाद न केवल केस के हर पहलू पर नजर रखी जाती है बल्कि कमीशन इससे जुड़ी जांच एजेंसियों को भी समय-समय पर पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब करता रहता है.
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम ने कहा कि क्योंकि इस तरह के मामले में परिवार का चश्मे चिराग चला जाता है. परिवार को मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार की जिम्मेदारी होती है अपने नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराए, ऐसे में मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर मामलों में आरोपी पकड़े जाए, इसे गंभीरता से लिया जाता है.
'पीड़ित परिवार को मिला 20 लाख की सहायता राशि'
उन्होंने कहा कि यह जानकर अफसोस होता है कि दिल्ली सरकार के पास मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर मामलों से निबटने की कोई ठोस पॉलिसी नहीं है. बस इस तरह के मामलों में सरकार सहायता राशि दे दी है. उन्होंने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कम से कम इतनी रकम पीड़ित परिवार दी जाए ताकि परिजनों का गुजर बसर आसानी से हो सके. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि मॉब लिंचिंग के मामलों में पीड़ित परिवार को दी जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर बीस लाख रुपये तक कर दिया जाए.
दिल्ली के चर्चित अंकित मामले में भी कमीशन के कहने के बाद ही दिल्ली सरकार ने उनके परिवार को सहायता राशि मुहैया कराई थी. पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर हुए कारी ओवैस मॉब लिंचिंग मामले में कमीशन ने पुलिस प्रशासन को उतर लिखकर रिपोर्ट तलब किया है. कमीशन को पुलिस की तरफ से बताया गया कि उसमें कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.