नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता में लगातार 15 साल शासन करने वाली कांग्रेस की स्थिति आज यह हो गई है कि करीब 2 करोड़ की आबादी वाले दिल्ली में इसके पास 200 समर्थक भी नजर नहीं आते हैं. किसी भी मुद्दे पर होने वाले धरने-प्रदर्शन में 100 लोगों को जुटाना भी मुश्किल है. बड़े और प्रमुख नेता तो कहीं नजर ही नहीं आते. जो चेहरे दिखाई देते हैं उन्हें जनता पहचानती तक नहीं है.
यहां तक कि मंच पर जो चेहरे होते हैं कमोबेश हर बार लगभग एक जैसे ही रहते हैं. ऐसे में कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलने की दिशा में सबसे पहले पहल करनी की जरूरत है.
नया नियम- पार्टी छोड़ने वाले की वापसी नहीं
दिल्ली कांग्रेस ने अंदर खाने एक नियम बनाया है. इस संघर्ष काल में जो भी पार्टी छोड़कर जाएगा उसकी वापसी नहीं होगी. हालांकि इस नियम की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. लेकिन इस पर अमल जरूर शुरू कर दिया गया है. पार्टी अब उन्हीं नेताओं-कार्यकर्ताओं को हाथ का साथ दे रही है जो दूसरी पार्टी के हैं.
कुछ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित अनिल चौधरी के इस निर्णय को कुछ लोग सराह रहे हैं तो काफी खिलाफ भी हैं. खिलाफत करने वालों का सुझाव है कि ऐसी नौबत ही नहीं आनी चाहिए कोई कार्यकर्ता ऐसा करता है तो उसे बुलाकर और कारणों की पड़ताल कर उसे दूर करें. इसके पीछे एक तर्क है कि कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं के सहारे आम आदमी पार्टी खड़ी हुई है.
ऐसे में कार्यकर्ताओं के महत्व को समझना चाहिए. यह सिलसिला चलता रहा तो कहीं कांग्रेस की रीड न टूट जाए.
जनाधार बढ़ाने की लिए हर मुद्दा लपकने की कोशिश
दिल्ली कांग्रेस आजकल हर मुद्दा लपकने की कोशिश में लगी रहती है. इस पर भी ध्यान नहीं दिया जाता कि दिल्ली के लोगों की कसौटी पर कौन सा मुद्दा खरा उतरेगा और कौन सा नहीं. कोरोना महामारी के समय इस पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन में पहले कांग्रेसी गरीबों को खाना खिलाने में लगे रहे. तो फिर मजदूरों को घर भेजने का मुद्दा उठा लिया.
अनलॉक में कभी भाजपा और आम आदमी पार्टी के निर्णय की आलोचना तक कांग्रेस की भूमिका सिमटी रही. अब किसान आंदोलन को सीधे तौर पर सपोर्ट कर दिल्ली कांग्रेस भी किसानों की सहानुभूति बटोरने में जुट गई है. कुल मिलाकर मामला यह है कि पार्टी अपनी खोई जमीन तलाश तो रही है लेकिन थिंक टैंक की मदद के बगैर.
दिल्ली वालों की नब्ज थामने वाले मुद्दों को आवाज नहीं दी जाएगी तो पार्टी की जमीन भी वापिस मिलने मुश्किल है फिर चाहे कितनी ही उछल कूद क्यों ना कर ली जाए.