नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और व्यवसाय संकाय की तरफ से 'भारत@2047: वाणिज्य और व्यवसाय की भूमिका' विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया. शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज के कन्वेंशन हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने कहा कि तरक्की और समृद्धि के विरुद्ध करप्शन एक वायरस है. अगर इस वायरस से नहीं निपटा जाए तो तरक्की और समृद्धि नहीं आ सकती. उन्होंने कॉमर्स एंड इंडस्ट्री से इस वायरस से निपटने और क्या करें व क्या न करें के सूत्र पर ध्यान देने का आह्वान किया.
इंद्रेश कुमार ने जीडीपी के मौजूदा फार्मूले पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए घरेलू नौकरों का उदाहरण दे कर कहा कि उन्हें रोजगार देने वाले परिवारों को न तो रोजगारदाता माना जाता है और न ही देश के इतने बड़े रोजगार को जीडीपी में सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत ऐसा देश है जिसका सरकारी रोजगार 4 करोड़ है. जिनमें पक्के और कच्चे सभी कर्मचारी शामिल हैं. परंतु प्राइवेट रोजगार 81 करोड़ है. देश की बाकी बची आबादी या तो बुजुर्ग है या बालक है. इसलिए जीडीपी को रिजेक्ट करके कोई नया फार्मूला बनाइये जिसका अनुसरण दुनिया करे और वह खुशहाली ला सके.
भारतीय मुद्रा में विश्व व्यापार की जरूरत
उन्होंने विभिन्न देशों की सामाजिक व्यवस्था का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें समृद्धि के साथ सामाजिक मूल्यों को भी महत्व देना होगा. इससे समाज में गरीब-अमीर, पढ़े लिखे-अनपढ़ और ग्रामीण व शहरी का अंतर समाप्त होगा. भारत को यह भी सोचना होगा कि क्या दुनिया का व्यापार डॉलर, पाउंड और रूबल में ही चलेगा ? जिस दिन हम तय करेंगे कि दुनिया में हमारा व्यापार भारतीय मुद्रा में होगा तो डॉलर, पाउंड और रूबल धड़ाम से गिरेंगे. उन्होंने बताया कि भारत ने 4 साल पहले ईरान के साथ भारतीय मुद्रा में व्यापार आरंभ किया और अभी मिस्र के साथ भी भारतीय मुद्रा में व्यापार किया है. यही नहीं हाल ही में रूस के साथ भी जो व्यापार हो रहा है वह भारतीय मुद्रा में है. अगर भारत देश भारतीय भारतीय मुद्रा में ही व्यापार करेगा तो 2047 में देश में कोई भी भूखे पेट और नंगे बदन नहीं रहेगा. इसलिए भारतीय मुद्रा में विश्व व्यापार बड़ी जरूरत है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इसे पहले 5 ट्रिलियन डॉलर पर और फिर 18 ट्रिलियन डॉलर पर लेकर जाना है. लेकिन 2047 तक उसे 18 ट्रिलियन डॉलर से भी ऊपर जाना है. इसके लिए वाणिज्य और व्यवसाय मुख्य उपकरण हैं. ये क्षेत्र जब तक इसको खींच कर नहीं लाएंगे, तब तक यह लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाएगा. उन्होंने आंकड़े देते हुए बताया कि 2022 के डेटा के अनुसार भारत की जीडीपी में सर्विस सेक्टर 53.29% योगदान देता है. लेकिन इसमें जोखिम को भी ध्यान में रखना जरूरी है, क्योंकि संसार में बहुत से देश इस पर काम कर रहे हैं.
औद्योगिक क्षेत्र 25.29% और कृषि एवं सहायक क्षेत्र 20% का योगदान दे रहे हैं. इनमें कृषि क्षेत्र अकेले देश के 70% लोगों के हाथों को काम देता है. इन्वेस्टमेंट, इंडस्ट्री और अपग्रेडेशन की बात करें तो इस क्षेत्र में अधिक होना चाहिए, क्योंकि इस सेक्टर में जितना अधिक योगदान करेंगे जल्दी ही उतना अधिक परिणाम मिलेंगे. उन्होंने कहा कि नीतियां बनाते हुए हमें कृषि एवं संबंधित क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
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