नई दिल्ली/गाजियाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के नेतृत्व में नई दिल्ली में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका थीम था 'परियोजना कार्यान्वयन में तकनीकों का व्यापक उपयोग' इस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न रेल परियोजनाओं से जुड़े एक्सपर्ट्स और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और इस विषय पर अपना ज्ञान और अनुभव साझा किया.
यह विशेष कॉन्फ्रेंस उन आधुनिक तकनीकों पर केंद्रित था जो देश में मोबिलिटी सेक्टर में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आए हैं. एनसीआरटीसी की टीम ने इस कॉन्फ्रेंस में अपनी प्रेजेन्टेशन में स्पीड, कॉमन डेटा एनवायरनमेंट (सीडीई), बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग, कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन (सीओआरएस) और ईटीसीएस-2 सिग्नलिंग सिस्टम जैसी कई आधुनिक तकनीकों पर प्रकाश डाला. जिन्होंने रैपिडएक्स परियोजना के कार्यान्वन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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उद्घाटन सत्र के दौरान, मुख्य अतिथि मनोज जोशी (सचिव, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय) ने कहा पिछले कुछ वर्षों में, टेक्नॉलोजी ने निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर एजेंसियों द्वारा परियोजना कार्यान्वयन की प्रक्रिया में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एनसीआरटीसी ने देश की प्रथम रीजनल रेल परियोजना के कुशल कार्यान्वयन के लिए बीआईएम, सीडीई और रिंच जैसे कई तकनीकी उपकरणों का प्रयोग किया है. यह प्रशंसनीय है कि एनसीआरटीसी ने ऐसे नॉलेज-शेयरिंग प्लेटफार्मों पर इसे अन्य संगठनों के साथ साझा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
विनय कुमार सिंह (प्रबंध निदेशक, एनसीआरटीसी) ने कहा इन परियोजनाओं को निर्धारित लागत और समय सीमा के भीतर क्रियान्वित करना कार्यान्वयन एजेंसियों की जिम्मेदारी है. देश की प्रथम रीजनल रेल कॉरिडोर को लागू करने के क्रम मे पिछले चार वर्षों में, हमें एनसीआरटीसी में, सामग्री, सप्लाई चेन और मैनपावर संबंधी कई बाधाओं का सामना करना पड़ा जो कोविड महामारी के कारण और जटिल हो गईं. भूमि अधिग्रहण, युटिलिटी शिफ्टिंग और भारत सरकार की मेक-इन-इंडिया आवश्यकताओं से संबंधित कई जटिल चुनौतियाँ भी थीं.