नई दिल्ली:नेशनल अवार्ड विजेता और दिग्गज अदाकारा सुरेखा सीकरी (Surekha Sikri) का 16 जुलाई को निधन हो गया. सुरेखा सीकरी ने टीवी जगत से लेकर बॉलीवुड तक में अपने अभिनय की छाप छोड़ी थी लेकिन लोकप्रिय टीवी सीरियल बालिका वधू में उनके दादीसा के किरदार ने उन्हें घर-घर तक पहचान दिलाई.
75 साल की Surekha Sikri का दिल्ली से पुराना नाता है. उन्होंने अपने अभिनय की पढ़ाई दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से ही की थी. 1968 में उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (National School of Drama) से ग्रेजुएशन किया, जिसके बाद उन्होंने करीब 10 सालों तक एनएसडीसी के repertory कंपनी के साथ मिलकर थिएटर किया.
सुरेखा सीकरी का जाना अभिनय के एक अध्याय की समाप्ति सुरेखा सीकरी के यूं अचानक चले जाने पर NSD की ओर से भी शोक व्यक्त किया गया है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ओर से Tweet किया गया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की वरिष्ठ स्नातक (1968) सुश्री सुरेखा सीकरी के निधन की खबर बेहद दुखद है, उनका जाना भारतीय रंगमंच के लिए अपूर्ण क्षति है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय परिवार भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने ट्वीट कर सुरेखा सीकरी को श्रद्धांजलि अर्पित की सुरेखा जी के निधन पर NSD Director सुरेश शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में शोक व्यक्त करते हुए बताया सुरेखा जी का जाना राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के लिए व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के नाम को देशभर में ख्याति दिलाने उसे विख्यात करने में सुरेखा जी का बहुत बड़ा योगदान है. साथ ही उन्होंने कहा कि बहुत से कलाकार और रंगकर्मी सुरेखा जी के अभिनय को देखने के बाद और यह जानने के बाद कि उन्होंने एनएसडी से अपनी पढ़ाई पूरी की तो वह कलाकार भी NSD में अभिनय की पढ़ाई करने के लिए आए. सुरेश शर्मा ने कहा कि सुरेखा जी या उनके दौर की जितनी भी कलाकार रहे. उनके जाने के बाद NSD में आज भी उनकी जगह कोई और नहीं भर पाया है, उनके अभिनय में जो छाप छोड़ी है वह आज भी बरकरार है डायरेक्टर सुरेश शर्मा ने बताया जब सुरेखा जी NSD से स्नातक की पढ़ाई कर रही थी, तब वह यहां छात्र थे और सुरेखा जी उनकी सीनियर थी वह अक्सर उन्हें अभिनय करता हुआ देखते थे और उनके अभिनय से बहुत कुछ सीखते थे.
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NSD के डायरेक्टर ने बताया सुरेखा जी ने स्नातक की पढ़ाई करने के बाद रेपेटरी के साथ भी काम किया. जहां उन्होंने थिएटर के अलग-अलग शो किए और हर एक शो में उनकी अदाकारी अद्भुत होती थी, किसी भी शो में उनका किरदार चाहे कितने भी देरी का हो या उनका किरदार छोटा सा हो लेकिन वह अपने हर एक किरदार को बखूबी निभाती थीं.
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उनके लिए कोई किरदार चोट या बड़ा नहीं होता था,उनके अभिनय की छाप आज भी बरकरार है, रेपेटरी से सुरेखा जी के जाने के बाद उनके द्वारा किए गए कई थिएटर शो दोबारा से दोहराए गए, लेकिन उनके अभिनय को आज भी लोग याद करते हैं ऐसे में उनका जाना अभिनय के 1 अध्याय का समाप्त होना है.
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