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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के दोषी ब्रजेश ठाकुर की अपील पर सुनवाई टली

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था.

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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के दोषी ब्रजेश ठाकुर की अपील पर सुनवाई टली

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Published : Dec 4, 2020, 7:36 PM IST

नई दिल्लीः मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई टाल दी है. ब्रजेश ठाकुर की ओर से इस मामले की सुनवाई टालने की मांग की गई, जिसके बाद जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 फरवरी को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई

'ट्रायल कोर्ट का फैसला सही'

पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था. इस मामले के एक और आरोपी विकास कुमार ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर किया है. विकास कुमार बाल कल्याण समिति का सदस्य था. विकास कुमार और ब्रजेश ठाकुर बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं. पिछले 25 अगस्त को सीबीआई ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. सीबीआई ने कहा था कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह को मिले सरकार अनुदान का दुरुपयोग किया. सीबीआई ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है.

'ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली'

ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पिछले 11 फरवरी को मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस

पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरु की थी.

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