नई दिल्ली: मीरा बाई...एक ऐसा नाम जिसे सुनकर ही भक्ति और समर्पण में सराबोर कृष्ण दिवानी का ख्याल जेहन में आता है. दिल्ली के मंडी हाउस स्थित कमानी ऑडिटोरियम में बुधवार शाम मीरा बाई का एक और पक्ष लोगों के सामने लाने की कोशिश की गई. ऑडोरियम में वीर मीरा कार्यक्रम के दौरान महिला सशक्तिकरण की परिभाषा लिखने वाली मीरा बाई के स्वरूप को लोगों के सामने रखा गया.
मीरा बाई के अनदेखे पहलुओं को संगीत से किया उजागरःविदुषी सुमित्रा गुहा और उनकी वरिष्ठ शिष्या डॉ. सामिया मेहबूब अहमद ने कथक नृत्यांगना शिंजिनी कुलकर्णी के साथ एक मीरा बाई के कभी न व्यक्त किए गए पक्ष को जीवंत किया. "वीर मीरा" में महिलाओं को सशक्त बनाने को लेकर बहादुर मीरा बाई की विचारधारा और उनकी योद्धा भावना को प्रदर्शित करके महिला जागृति और मुक्ति का संदेश दिया.
विदुषी सुमित्रा गुहा ने कहा कि मीरा बाई एक संत कवयित्री हैं, जिनका पूरा जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए समर्पित था. हम हमेशा एक पहलू देखना भूल जाते हैं कि भगवान कृष्ण के प्रति अपनी अटूट भक्ति से कहीं अधिक उनका समाज के प्रति योगदान रहा. वह एक सच्ची नारीवादी थीं, जो 16वीं शताब्दी ईस्वी में पितृसत्तात्मक दुनिया के खिलाफ खड़ी हुईं थीं. आज भी वह सभी उम्र की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.