नई दिल्ली:पहले नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉउन्सिल और अब साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने एक निजी कंपनी के साथ करार कर योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने की पहल की है. इसके तहत लोगों को उनके पुराने और इलेक्ट्रॉनिक सामान के तय राशि के हिसाब से पैसे मिलेंगे. एक पुराने आइटम का मूल्य यहां 150 से 1500 तक मिल सकता है.
कैसे काम करेगी योजना!
इस योजना के तहत लोगों की ज़रूरत और डिमांड के हिसाब से निजी कम्पनी के लोग घरों तक पहुंचेंगे. पहले से तय रेट के आधार पर लोगों को उनकी चीज के पैसे दिए जाएंगे. लोगों के लिए ये प्रक्रिया बस इतनी ही है लेकिन इसके बाद ये कंपनी इस वेस्ट को सिर्फ डिस्पोज नहीं कर देगी. आपका दिया गया वेस्ट इस कम्पनी के लिए बहुत फायदेमंद है और कैसे इस कबाड़ को 'सोने' में बदला जाएगा, आइए जानते हैं.
पढ़ें-दिल्ली: शाहदरा के एक मकान में सिलेंडर ब्लास्ट, 4 की मौत, एक झुलसा
वर्कशॉप में रीसायकल होगा इवेस्ट
मंगलवार को ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के कोंडली बॉर्डर पर निजी कंपनी की वर्कशॉप पर ई वेस्ट रीसाइकलिंग-डिस्पोजिंग की पूरी प्रक्रिया देखी. इस प्रक्रिया में न सिर्फ काम कर रहे एलिमेंट्स को अलग किया जाएगा बल्कि चीनी मिट्टी से बने इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के मदरबोर्ड और कीट आदि को भी ट्रीट कर बेच दिया जाएगा.
कई चरणों में होता है काम
किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को सबसे पहले यहां वर्कशॉप में मैनुअल तरीके से छांटा जाता है. मसलन, अगर किसी की पुरानी टीवी ही यहां कबाड़ में दी गई है तो बहुत मुमकिन है कि उस टीवी की डिस्प्ले या किसी अन्य आइटम को छोड़कर बाकी सब चीज ठीक हों. ऐसे में यहां पर सबसे पहले कर्मचारी यह जांच करते हैं कि किसी भी आइटम की क्या-क्या चीज है काम कर रही हैं. इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स में अक्सर डिस्प्ले, स्पीकर और अन्य एलिमेंट्स को छोड़कर मदर बोर्ड और किट महत्वपूर्ण होते हैं. लिहाज़ा, इस बोर्ड को रीसायकल करने की पूरी प्रक्रिया है.