नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान एमजे अकबर की ओर से कहा गया कि प्रिया रमानी ने काल्पनिक कहानी गढ़ी. एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा कि प्रिया रमानी ने अपने बचाव में बेतुके और भ्रमपूर्ण दलीलें रखी हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी.
बयान के पक्ष में नहीं था कोई साक्ष्य
सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा कि प्रिया रमानी की ओर से काल्पनिक कहानी कही गई है. उन्होंने कहा कि रमानी ने अकबर को मीडिया का सबसे बड़ा शिकारी कहा, लेकिन इस बयान के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं दिया. प्रिया रमानी 25-30 सालों में कोर्ट क्यों नहीं गई. लूथरा ने कहा कि पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ केस दर्ज होने के बावजूद रमानी ने कथित यौन प्रताड़ना का केस क्यों नहीं दर्ज कराया. उस समय भी कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार को लेकर कानूनी उपाय थे. लूथरा ने कहा कि प्रिया रमानी के वकील को 18 जनवरी को ही अपनी बात रखने का मौका दिया जाए.
'रमानी के बयान में सत्यता नहीं'
लूथरा ने एमजे अकबर की ओर से पेश गवाह वीनू संदल के बयान को पढ़ते हुए कहा कि रमानी का बयान सत्य नहीं है. संदल 1994 से काफी लोगों के साथ काम कर रही हैं. उनसे काफी लोगों की बात होती है, लेकिन किसी ने भी इस दौरान अकबर के खिलाफ कुछ नहीं बोला. इस दौरान कुछ तो आरोप आने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि ये प्रमाणित तथ्य है कि एमजे अकबर की काफी अच्छी छवि है.
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2018 में दायर किया था मामला
बता दें कि एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.