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मानहानि मामला: एमजे अकबर ने कहा-रिमानी के ट्वीट दुर्भावना पूर्ण - प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि पर बहस

पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने कोर्ट से कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट दुर्भावना से भरे थे. प्रिया ने उनके 40 साल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है.

mj akabar MJ Akbar put side on Priya Ramani's defamation case
एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि की याचिका

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Published : Jan 4, 2021, 7:44 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट से कहा कि प्रिया रमानी के ट्वीट दुर्भावना से भरे थे. इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.

रमानी के ट्वीट दुर्भावनापूर्ण
सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने रमानी के ट्वीट को पढ़ते हुए कहा कि वे अपमानजनक और दुर्भावना से भरे हुए थे. उन्होंने कहा कि रमानी ने कोर्ट के बाहर ट्रायल चलाने की कोशिश की. न्यायिक प्रक्रिया कोर्ट में ही चल सकती है, कोई खुद कानून नहीं बन सकता है. लूथरा ने रमानी के क्रास-एग्जामिनेशन को पढ़ते हुए कहा कि एक ही झूठ को दस लोगों की ओर से कहे जाने का मतलब ये नहीं है कि वो सच बन जाएगा, सच्चाई का पता लगाना चाहिए था.

'सच्चाई का पता लगाना चाहिए था'
लूथरा ने कहा कि एक पत्रकार होने के नाते रमानी को सच्चाई का पता करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि रमानी ने कोर्ट के समक्ष झूठे बयान दिए हैं. ये बयान उनके बचाव के लिए घातक हैं. लूथरा ने रमानी के उस बयान को पढ़ा ,जिसमें कहा गया था कि एमजे अकबर मीडिया के सबसे बड़े सेक्सुअल शिकारी(predator) हैं. उनका ये बयान किसी ठोस साक्ष्य पर आधारित नहीं है.


'Predator कहकर प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया'
24 दिसंबर 2020 को लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी की ओर से उनके खिलाफ अपमानजनक ट्वीट कर उसे हटा देना उनकी खराब नीयत के बारे में बताता है. ट्रायल के दौरान ऐसा करना कोर्ट की कार्रवाई में बाधा डालने के समान है. उन्होंने कहा था कि रमानी के आलेख मानहानि वाले थे. रमानी ने अपने बयान में एमजे अकबर को शिकारी (predator) कहा है. उन्होंने लॉ डिक्शनरी से इसका मतलब बताते हुए कहा था कि यौन शिकारी वह होता है, जो हिंसक यौन कृत्य करता है. रमानी ऐसी दलील अपने बचाव में नहीं दे सकती हैं, ऐसा कर उन्होंने एमजे अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है.


'सोशल मीडिया का प्रभाव ज्यादा घातक'
लूथरा ने कहा था कि सोशल मीडिया का प्रभाव ज्यादा घातक है. स्वतंत्र ट्रायल के लिए ये सही नहीं है। वोग मैगजीन में लिखे आलेख में शिकायतकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ये आप कह रही हैं। उस आलेख के छपने के एक साल के बाद रमानी ने कहा कि वो एमजे अकबर के बारे में लिखा गया था। ये सब कुछ बिना किसी जिम्मेदारी के कहा गया। उस ट्वीट को कम-से-कम पांच हजार लोगों ने पढ़ा था।

'40 साल की बनाई छवि को नुकसान पहुंचाया'
लूथरा ने कहा था कि एमजे अकबर जैसी छवि बनाने के लिए रोजाना काम करना पड़ता है. वो देश के शीर्ष पत्रकार हैं, उनके 40 साल के करियर में किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया. अखबारों के दफ्तरों में सैकड़ों लोग काम करते हैं. 2018 में प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के पिछले 40 साल की छवि को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने दलीलों में एमजे अकबर के लिए फ्रॉड का इस्तेमाल किया. इसके लिए एक दूसरा मानहानि का केस किया जा सकता है.


'एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं'
पिछले 18 दिसंबर को प्रिया रमानी ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं. प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर ने अपनी पूरी शिकायत में प्रिया रमानी के आलेख और ट्वीट का जिक्र किया है. जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर को दूसरी 15 महिलाओं की शिकायतों के बारे में भी निष्पक्ष खुलासा करना चाहिए था, ये महिलाएं एक-दूसरे को नहीं जानती थीं. उन्होंने कहा था कि गजाला वहाब ने अपने अनुभवों के बारे में लिखा था. दूसरी महिलाओं ने भी ट्विटर पर लिखा था, लेकिन उन्होंने केवल हमारे खिलाफ शिकायत की. अकबर को ये जरुर बताना चाहिए कि जिन दूसरी महिलाओं ने ये शिकायत की उनकी शिकायत भी झूठी है, अकबर तथ्यों को छिपा रहे हैं.


2018 में दायर किया था मामला
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. जिस पर कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.

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