नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल के पेश किए जाने पर राजधानी दिल्ली के लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. बड़ी संख्या में लोगों ने इसे दिल्ली सरकार के विकास कार्यों में केंद्र सरकार द्वारा रोड़ा अटकाने की बात कही. वहीं कुछ लोग इसके समर्थन में बोलते हुए नजर आए. सेंट्रल दिल्ली निवासी कृष्ण मुरारी ने कहा कि दिल्ली की जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके एक मुख्यमंत्री को चुना है, जिसे दिल्ली के हक में फैसला लेने का पूरा अधिकार है. अगर उन्हें ही फैसला लेने नहीं दिया जाएगा, तो फिर दिल्ली का काम कैसे चलेगा.
बिल के विरोध मेंःउन्होंने कहा कि पहले से ही दिल्ली में आधी शक्तियां मसलन दिल्ली पुलिस, डीडीए केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं. वही यदि दिल्ली सरकार के अधीन चीफ सेक्रेटरी सहित अन्य अफसर नहीं आएंगे तो फिर दिल्ली के काम में रुकावट आएगी. वही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिल्ली सरकार के हक में फैसला दे दिया था. फिर केंद्र सरकार के द्वारा ये अध्यादेश लाना गैर जरूरी और गैर संवैधानिक है.
वहीं इस मामले पर भास्कर ने कहा कि दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार है. इसको दरकिनार करके अपनी मनमानी करना और जबर्दस्ती अपना दबदबा कायम रखना कहीं से भी ठीक नहीं है. इस तरह से केंद्र दिल्ली में जबर्दस्ती अपनी सरकार चलाना चाहती है, जो कि जनता को कतई मंजूर नहीं है और इसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर नजर आएगा और जनता इसका चुनाव में जवाब देगी.