नई दिल्ली :मां दुर्गा की उपासना के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. इसीलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. तो मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना कैसे की जाय और इसके क्या विधि-विधान हैं, ये जानने के लिये ईटीवी भारत पहुंचा दिल्ली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक झंडेवालान मंदिर, जहां के पुजारी अंबिका प्रसाद ने शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की सारी विधि हमसे साझा की.
पुजारी अंबिका प्रसाद ने बताया कि मां शैलपुत्री की पूजा के लिए उन्हें गाय के दूध से बने पदार्थों का भोग लगाएं. बात फलों की करें तो अनार मां शैलपुत्री का सबसे प्रिय फल है. इसीलिए भक्त चाहें तो मां शैलपुत्री को पहले दिन यह फल अर्पित कर सकते हैं. नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह करीब 7:30 बजे से शुरू होकर 12 बजे तक है, यानी कि 12 बजे से पहले तक कलश स्थापना की जा सकती है. इसके लिये पहले दिन बेदी बनेगी, पंचांग पूजन होगा और फिर देवी का आह्वान किया जाता है. इससे पहले भगवान गणेश को बुलाते हैं और सबसे पहले विघ्नहर्ता की पूजा होती है. फिर पंचनाम देवताओं की पूजा होकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है.
ये भी पढ़ें-दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा के आयोजन पर प्रतिबंध