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Men's Health Month: पुरुषों में गैर-संक्रामक रोगों का खतरा ज्यादा, जानें कैसे कर सकते हैं बचाव

पुरुषों में एनसीडी यानी गैर-संक्रामक रोग का ज्यादा जोखिम होता है. 10 फीसदी पुरुष हाइपरटेंशन से, 38 फीसदी पुरुष मोटापे और 22 फीसदी पुरुष डायबिटीज से पीड़ित हैं. 'मेंस हेल्थ मंथ' के मौके पर आइए जानते हैं इससे कैसे बचा जा सकता है.

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Published : Jun 30, 2023, 7:55 AM IST

पुरुषों में स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में बता रहे अमोल नायकावाड़ी

नई दिल्लीःजून का महीना खत्म होनेवाला है. क्या आप जानते हैं यह महीना पुरुषों को समर्पित होता है, क्योंकि जून को 'मेंस हेल्थ मंथ' कहा जाता है. इस दौरान उनकी सेहत के प्रति जागरुकता फैलाई जाती है. पुरुषों का ध्यान अक्सर हाइजीन और ग्रूमिंग की ओर कम जाता है. एक रिसर्च के मुताबिक 10 फीसदी पुरुष हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं. 38 फीसदी पुरुष मोटापे के शिकार हैं और 22 फीसदी पुरुष डायबिटीज से ग्रस्त हैं. इस तथ्य का खुलासा 'मेंस हेल्थ मंथ' के अवसर पर इंडस हेल्थ प्लस की स्टडी में हुआ है.

पुरुषों में यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों के सेवन, शारीरिक गतिविधि न करने, नींद पूरी न होने, बहुत ज्यादा तनाव, शराब पीने, सिगरेट के सेवन और आनुवांशिक या वंशानुगत कारणों से होती है. इस अध्ययन में करीब पांच हजार लोगों को शामिल किया गया. जनवरी 2020 से दिसंबर 2022 के दौरान सैंपल में शामिल लोगों का प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप किया गया. इंडस हेल्थ प्लस की असामान्यता रिपोर्ट के अनुसार, 36 फीसदी पुरुष हाइपरलिपिडेमियास, 53 फीसदी लोग विटामिन डी, 25 और 32 फीसदी पुरुष विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित हैं.

इंडस हेल्थ प्लस में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट अमोल नायकावाड़ी बताते हैं कि पुरुषों में तनाव और बेचैनी बढ़ती जा रही है. यह कारक उनमें तरह-तरह की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें उच्च रक्तचाप और मोटापा शामिल है. सुस्‍त जीवनशैली और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खानपान की आदतें एनसीडी के बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं. गैर-संक्रामक रोगों के खतरे को कम करने के लिए लोगों को समय पर चेकअप कराने की सलाह दी जाती है.

शारीरिक गतिविधि बढ़ाकर और सोच-समझकर खाने-पीने से आप मोटापे का जोखिम कम कर सकते हैं. इस बारे में आम जनता को जागरूक करना बहुत जरूरी है. इससे जीवनशैली संबंधी रोग से बचाव किया जा सकता है. इस जोखिम को कम करने के लिए जीवनशैली में जरा-सा बदलाव कर काफी अंतर लाया जा सकता है. - अमोल नायकावाड़ी

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