नई दिल्ली: 6 जनवरी को दिल्ली एमसीडी के सदन में हुए जबरदस्त हंगामे के चलते कार्यवाही स्थगित होने से दिल्लीवासियों का अपने अगले मेयर के लिए इंतजार बढ़ता जा रहा है और इसके अभी और लंबा खिंचने की आशंका है. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में मेयर ना होने से एमसीडी के प्रशासनिक कामकाज के साथ ही बजट अलॉट ना होने के चलते विकास कार्यों पर बुरा असर पड़ता दिख आ रहा है. जिसके पीछे एक बड़ी वजह अब तक सदन में बजट पास नहीं होना भी है. पार्षदों के चुनकर आने के बाद सभी बड़े और अहम फैसले लेने की जिम्मेदारी मेयर की होती है.
बजट पास ना होने के चलते अधर में लटके काम
एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव ना होने का सबसे बुरा असर एमसीडी के प्रशासनिक कामकाज और विकास कार्यों पर पड़ रहा है, क्योंकि एमसीडी के चुनाव संपन्न होने के साथ नए पार्षद चुनकर आ गए हैं. अब एमसीडी के मद्देनजर सभी बड़े निर्णय मेयर और चुने गए पार्षदों द्वारा लिए जाने हैं. लेकिन सदन का गठन ना होने से फैसले नहीं हो पा रहे हैं, जिसका बुरा असर प्रशासनिक कामकाज पर पड़ रहा है. साथ ही बजट पास ना होने के चलते एमसीडी द्वारा किए जाने वाले विकास कार्य लटक गए हैं. सदन के गठन के बाद बजट को एमसीडी के सदन में पेश कर उसे पास किया जाएगा. जिसके बाद ही बजट एलोकेट होगा.
मेयर पद खाली होने से नहीं हो पा रही जरूरी दवाइयों की खरीद
एमसीडी के अंतर्गत आने वाली डिस्पेंसरी पॉलीक्लिनिक्स के साथ अब अस्पतालों में भी दवाइयों की कमी शुरू हो गई है. हर साल फरवरी-मार्च के महीने में दवाइयों की खरीद के मद्देनजर एमसीडी द्वारा प्रक्रिया को पूरा किया जाता है. लेकिन मेयर का पद खाली होने के चलते इस साल यह प्रक्रिया नहीं हो पाई है. इस प्रक्रिया में आदेश पर अंतिम मंजूरी मेयर देते है. इसके अलावा दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों के मद्देनजर छिड़काव के लिए दवाइयों की खरीद भी अभी तक नहीं हो पाई है.
प्रशासनिक कामकाज अधर में
केंद्र के निर्देशों के बाद परिसीमन के साथ नए स्वरूप में सामने आई एमसीडी में मेयर पद खाली रहने की स्थिति में प्रमुख निर्णयों को लेने की जिम्मेदारी विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार को दी गई है. अप्रैल, 2022 से लेकर दिसंबर माह की शुरुआत तक सभी निर्णय अश्विनी कुमार द्वारा ही लिए गए. एमसीडी के चुनाव संपन्न होने और नवनिर्वाचित पार्षदों के आने के बाद अब सभी शक्तियां नए मेयर और नवनिर्वाचित पार्षदों के पास हैं. लेकिन शपथ ग्रहण ना होने के चलते अब निगम का प्रशासनिक कामकाज अधर में लटक गया है.
जी-20 की तैयारियों को लेकर मुश्किलें
राजधानी दिल्ली में जी-20 अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. इसी बीच एमसीडी के अंदर मेयर और डिप्टी मेयर के साथ नवनिर्वाचित पार्षदों की शपथ टलने के चलते चलते जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ना तय माना जा रहा है. दरअसल एमसीडी द्वारा जी 20 के मद्देनजर रीडेवेलप के प्रोजेक्ट को 5 जोन में शुरू किया गया है लेकिन मेयर ना होने के चलते प्रशासनिक निर्णय और फंड अलॉट होने में हो रही है. जिसके चलते तैयारियों पर इसका बुरा असर पड़ता दिख रहा है. मार्च से शुरू होने जा रहे जी-20 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिल्ली में विदेशों से बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथियों के आने की संभावना है. इन अतिथियों को दिल्ली के प्रथम नागरिक, मेयर द्वारा ही रिसीव किया जाना होता है. लेकिन अगर तब तक मेयर चुनाव नहीं हुए तो सरकार द्वारा किसी और अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
अब कब होंगे दिल्ली में मेयर चुनाव।
एमसीडी में मेयर चुनाव की नई तारीखों को लेकर एमसीडी कमिश्नर ज्ञानेश भारती द्वारा फाइल दोबारा दिल्ली सरकार के माध्यम से एलजी को भेजी जाएगी. जिसके बाद एलजी नई तारीख का ऐलान करेंगे. मेयर चुनाव से कम से कम 48 घंटे पहले सूचना देना अनिवार्य होता है. ऐसे में अगले शुक्रवार से पहले दिल्ली एमसीडी के मेयर के चुनाव होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. अगर एलजी और ज्यादा समय लेते हैं तो चुनाव अगले हफ्ते के लिए भी टल सकते हैं. एमसीडी के सदन की आखिरी बैठक में सत्या शर्मा द्वारा शपथ लेने के साथ ही दस्तखत किए गए थे, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सदन की अगली बैठक में भी पीठासीन अधिकारी के तौर पर एलजी उन्हीं को नॉमिनेट करेंगे.
अगली बैठक के मद्देनजर एलजी जारी कर सकते हैं दिशा-निर्देश
एमसीडी सदन की बैठक में 6 जनवरी को हुए जबरदस्त हंगामे के बाद सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा कुछ कड़े निर्देश जारी किए जा सकते हैं. जिसके तहत पार्षदों ओर उनके परिवार के लोगों को ही सिर्फ सिविक सेंटर में आने की अनुमति होगी. उनके समर्थकों को सिविक सेंटर में नहीं आने दिया जाएगा. साथ ही पहले शपथ ग्रहण को लेकर भी एलजी द्वारा पीठासीन अधिकारी को कुछ निर्देश दिए जा सकते हैं.