नई दिल्ली: सीयूइटी परीक्षा के परिणाम आने के बाद छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. छात्रों के बीच सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में नांमांकन को लेकर है. सीयूइटी के परीक्षा परिणाम में जिन छात्रों के स्कोर अपेक्षा से कम हैं, उनमें एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है. ऐसे छात्र पढ़ाई के लिए विदेशों का रूख कर रहे हैं और जो छात्र विदेश जाने में सक्षम नहीं हैं वो नीजी विश्वविद्यालय में नामांकन ले रहे हैं. विदेशों में पढ़ाई करने का निर्णय बच्चे जॉब अपॉर्चुनिटी और शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत का आकलन कर लेते हैं.
2024 तक करीब 18 लाख बच्चे करेंगे विदेश में पढ़ाई
अप्लाईबोर्ड के चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर करुण कंडोई कहते हैं कि कुछ अनुसंधानों और रिपोर्ट्स के अनुसार 2024 तक करीब 18 लाख बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे होंगे. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगें कि 2021-22 में चार से साढ़ें सात लाख बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए. इन आकड़ों में एक साल के अंदर 17% की वृद्धि है. उन्होंने कहा कि अप्लाईबोर्ड ने एक सर्वे किया था जिसके अनुसार यह सामने आया है कि 80% बच्चे पोस्ट ग्रेजुएशन में क्या जॉब अपॉर्चुनिटी हैं उस पर ध्यान देते हैं, जबकि 85% बच्चों के लिए शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत मैटर करती है, जिसके आधार पर वे निर्णय लेते हैं.
लगातार बढ़ रही विदेश में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या