नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना के बीच तकरार का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. दरअसल, दिल्ली के कई स्कूलों में प्रिंसिपल का पद वर्षों से खाली है और इनकी जगह वाइस प्रिंसिपल ही प्रिंसिपल का भी पद संभाल रहे हैं. वहीं प्रिंसिपल की नियुक्ति में एलजी और दिल्ली सरकार अब आमने सामने आ गई है.
रविवार को दिल्ली के शिक्षा और उपमुख्यमंत्री मंत्री मनीष सिसोसिया ने एलजी विनय कुमार सक्सेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि, कल दिल्ली उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक प्रेस रिलीज जारी करके यह क्लेम किया है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूलों के लिए 126 प्रिंसिपलों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है, जो दिल्ली सरकार रोककर बैठी थी. हमने इसको मंजूरी दे दी है. एलजी ऑफिस द्वारा जारी किया गया बयान झूठ का पुलिंदा है और हास्यास्पद है. साथ ही यह दुखद है कि वे किस तरह झूठ बोलते हैं और तथ्यों को छुपाते हैं क्योंकि सर्विसेज इनके पास हैं.
उन्होंने आगे कहा, मैं इससे जुड़े कुछ तथ्य लेकर आया हूं. यह मामला इसलिए है क्योंकि एलजी और सेंट्रल गवर्नमेंट ने असंवैधानिक तरीके से सर्विसेज डिपार्टमेंट पर कब्जा कर रखा है. अगर दिल्ली सरकार के सर्विसेज डिपार्टमेंट पर कब्जा नहीं किया गया होता तो दिल्ली के हर एक स्कूल में प्रिंसिपल होता. उन्होंने कहा कि एलजी और सेंट्रल गवर्नमेंट की जिद है की सर्विसेज हम तय करेंगे. लेकिन उनको इस बात की जिद्द नहीं है कि स्कूलों में प्रिंसिपल की भर्ती करवा दें. साथ ही उनको इस बात की चिंता भी नहीं है की दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 15 लाख बच्चे के लिए प्रिंसिपल दे दें.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2015 में हमारी सरकार बनी और दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना. उस वक्त हमारे पास सर्विस डिपार्टमेंट था. सारे फैसले मैं खुद लेता था. लेकिन इन्होंने सर्विस डिपार्टमेंट पर असंवैधानिक तरीके से कब्जा कर लिया. प्रिंसिपल की नियुक्ति में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. ये तो बस काम में टांग अड़ाना जानते हैं. हमारी सरकार बनने के बाद पांच साल से लटके कई अपाइंटमेंट पूरे किए. हमने 370 प्रिंसिपल के पदों को भरने का प्रस्ताव हमने यूपीएससी को भेजा. उसी दौरान उन्होंने संविधान को ताक पर रखकर सर्विसेज डिपार्टमेंट पर कब्जा किया. पहले सारी फाइल मेरे द्वारा देखी जाती थी. लेकिन बाद में इन्होंने तय किया कि अब प्रिंसिपलों से जुड़े फाइल, मंत्री शिक्षा मंत्री को नहीं दिखाई जाएगी.