नई दिल्ली: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) की तरफ से विकसित एक व्हाट्सएप चैटबॉट 'बाल मित्र' लॉन्च किया. बाल अधिकार आयोग की ओर से विकसित यह अनूठा चैटबॉट लोगों और आयोग के बीच कम्युनिकेशन को सुगम बनाने का एक प्रयास है. चैटबॉट नागरिकों और आयोग को अधिक प्रभावी तरीके से बातचीत करने में मदद करेगा. चैटबॉट की कुछ विशेषताओं में शिकायत पंजीकरण, सूचना खोजना और शिकायत की स्थिति पर नजर रखना, दाखिले की जानकारी मांगना आदि शामिल हैं. बच्चों और उनके अधिकारों से संबंधित विभिन्न मामलों पर प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ, यह चैटबॉट इसके माध्यम से रिपोर्ट किए गए मामलों की गोपनीयता भी सुनिश्चित करेगा.
डीसीपीआर के चैटबॉट को लॉन्च करते हुए सिसोदिया ने कहा, "चैटबॉट 'बाल मित्र' आयोग की तरफ से शुरू किया गया, गवर्नेंस को सिटीजन-फ्रेंडली बनाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है. यह बच्चों और उनके अधिकारों के बारे में प्रामाणिक जानकारी के स्रोत के रूप में काम करेगा. बाल अधिकारों के संरक्षण से संबंधित किसी भी मामले की रिपोर्ट करने के साथ-साथ यह चैटबॉट लोगों, विशेषकर माता-पिता को उनके बच्चे के एडमिशन और शिक्षा संबंधी विषयों पर मार्गदर्शन भी करेगा.
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डीसीपीसीआर बाल मित्र गवर्नेंस को और अधिक प्रभावी बनाने में हमारी मदद करेगा. यह सरकार और नागरिकों के बीच कम्युनिकेशन गैप को खत्म करेगा. उन्होंने कहा कि डीसीपीसीआर यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से विभिन्न तकनीकी हस्तक्षेप कर रहा है कि बेहतर गवर्नेंस के लिए नागरिकों और सरकार के बीच कम्युनिकेशन अधिक सुलभ हो. इससे पहले, आयोग ने 'अर्ली वार्निंग सिस्टम' की शुरू की थी, जिसने शिक्षा विभाग को 50,000 से अधिक छात्रों को स्कूलों में वापस लाने और ड्रॉपआउट दरों को कम करने में मदद की है.
डीसीपीसीआर के चेयरपर्सन अनुराग कुंडू ने कहा, "यह एक ऑटोमेटेड रिस्पांस एप्लिकेशन है जो सूचना वितरण में सहायता करेगा, लोगों को शिकायत दर्ज करने में मदद करेगा, शिकायतकर्ताओं के साथ नियमित संचार आदि करने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि जो लोग व्यक्तिगत रूप से आयोग तक पहुंचने में सक्षम नहीं हैं या हेल्पलाइन से संपर्क करने में असमर्थ हैं, वे इसके माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकेंगे/जानकारी मांग सकेंगे. कुंडू ने आगे कहा कि आयोग ने अतीत में विभिन्न तकनीकी पहल की हैं जिनमें फाइलों का डिजिटलीकरण, विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से बाल अधिकारों से संबंधित जानकारी का प्रसार आदि शामिल हैं. इन सभी हस्तक्षेपों के माध्यम से आयोग का लक्ष्य जल्द ही पूरी तरह से डिजिटलीकरण करना है.
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वहीं, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने कहा, "चैटबॉट 'बाल मित्र' शिक्षा निदेशालय के लिए भी बहुत मददगार होगा, क्योंकि यह डीओई को पूरी दिल्ली में बेहतर तरीके से बच्चों की शिक्षा से जुड़ी जानकारी प्रदान करने में मदद करेगा. पहले भी डीसीपीसीआर ने शिक्षा निदेशालय को अपनी अर्ली वार्निंग सिस्टम के साथ काफी सहयोग प्रदान किया है जो नियमित रूप से स्कूलों में अनुपस्थिति की निगरानी करता है और छात्रों को समय पर स्कूल वापस लाने में हमारी मदद करता है. इस तरह के तकनीकी सुधार समय की मांग हैं.