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'CAA-NRC के खिलाफ जारी रहेगा विरोध', प्रदर्शन में पहुंचे महात्मा गांधी के परपोते

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Published : Jan 16, 2020, 5:59 PM IST

महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी सीएए और एनआरसी पर हो रहे विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है. उन्होंने इस कानून को संविधान विरोधी बताया.

protest against CAA NRC
प्रदर्शन में पहुंचे महात्मा गांधी के परपोते

नई दिल्ली: देशभर में सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में आर्ट्स फैकल्टी पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ गांधी कॉलिंग बैनर तले विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया.

इस मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते व सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी भी इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे. उन्होंने इस कानून को संविधान विरोधी बताया. इसके अलावा उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह सरकार संविधान के साथ-साथ इतिहास में भी छेड़छाड़ कर रही है.

सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में पहुंचे महात्मा गांधी के परपोते

गांधी स्मृति से हटी बापू की तस्वीर

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा कि गांधी स्मृति से फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्टियर ब्रेसों के द्वारा बापू की हत्या के बाद की तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश के बाद हटा दी गई है.

उन्होंने कहा कि उसकी जगह पर एलईडी स्क्रीन के डिस्प्ले लगा दिए गए हैं. यह देखकर दुख हुआ और ऐसा लग रहा है कि मौजूदा सरकार जो इतिहास है उसको मिटाने की कोशिश कर रही है. साथ ही सवाल किया कि जो तस्वीर वहां पर 70 साल से लगी हुई थी. वह अचानक किसके आदेश पर हटा दी गई है और उन्होंने कहा कि यह जानना मेरा अधिकार है.

प्रदर्शन में पहुंचे तुषार गांधी

'सीएए और एनआरसी संविधान विरोधी'

वहीं सीएए और एनआरसी को लेकर तुषार गांधी ने कहा कि इस कानून का विरोध होना चाहिए. उन्होंने कहा कि छात्रों की शक्ति अगर खड़ी होगी तो इस देश में कुछ बदलाव की उम्मीद है. और जिस तरह से छात्र सड़कों पर उतरे हैं उनके हौसलों को बुलंद करना मैं अपना फर्ज समझता हूं. वहीं जब उनसे यह सवाल किया गया कि इस कानून में क्या गलत है तो उन्होंने कहा कि इस कानून को लाने वालों की नीयत ही गलत है.

साथ ही कहा कि यह कानून जो हिंदुस्तान का संविधान है वह उसके खिलाफ है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह पहले आज़ाद हिंदुस्तान का ऐसा कानून है जिसमें धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है. वहीं तुषार गांधी ने कहा कि यह विरोध तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक इस सरकार की नीयत को बदल न सकें.

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