नई दिल्लीःसनातन धर्म में माघ मास का विशेष महत्व है. माघ महीने में भगवान विष्णु की पूजा पाठ, ध्यान मंत्र जाप और अनुष्ठान किया जाता है. प्रत्येक वर्ष बारह पूर्णिमा व्रत रखे जाते हैं. इन सभी व्रतों में माघ महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन दान, स्नान और पूजा पाठ करने से जीवन में सुख समृद्धि और स्थिरता आती है. साथ ही कष्ट दूर होते हैं. 5 फरवरी यानी कि रविवार को माघ पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है.
पंचांग के अनुसार रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र योग है, इसलिए इस दिन रवि पुष्य योग बन रहा है. पुष्य नक्षत्र को शास्त्रों में अमरेज्य भी कहा जाता है, जो जीवन में स्थिरता और अमरता लाता है. ये योग बहुत ही शुभ है. 2023 में 5 बार रवि पुष्य योग और 2 बार गुरु पुष्य का योग बन रहा है. यानी इस साल कुल 7 बड़े शुभ मुहूर्त बन रहे हैं.
० माघ माह की पूर्णिमा तिथि
- माघ माह पूर्णिमा तिथि आरंभ: 4 फरवरी (शनिवार) रात 9:29 मिनट
- माघ माह पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 फरवरी (रविवार) 2023 रात 11: 58 मिनट
- उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी (रविवार) को मनाई जाएगी
- आयुष्मान योग- सूर्योदय से दोपहर 2:41 PM तक
- सौभाग्य योग- दोपहर 2:41 PM से 6 फरवरी दोपहर 3:25 PM तक
० पूर्णिमा को ना करें ये कार्य
- माघ पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन का सेवन ना करें. मास, प्याज और लहसुन का सेवन ना करें. किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी पूर्णता दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. माघी पूर्णीमा के दिन विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें. ना ही किसी पर गुस्सा करें. अपशब्द का प्रयोग करने से भी पूर्णता बचें.