नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा की जाती है. यह काल का नाश करने वाली हैं. इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है.
सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा पूजा करने की विधि :
झंडेवालान स्थित झंडेवाली मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद पंत ने बताया कि पूजन की जरूरी सामग्री एकत्रित करके सुवासित जल, तीर्थ जल, गंगाजल सहित पंचमेवा और पंचामृत पुष्प, गंध, अक्षत से विविध प्रकार से माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.
मां कालरात्रि की पूजा में सबसे पहले कलश और आवाहन किए गए देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. पूजा विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए.
माता का रूप :
मां कालरात्रि का वर्णन काला है और काले बालों वाली ये माता गदर्भ पर बैठी हुई हैं. इनकी श्वाश से भयंकर आग निकलती है. इतना भयंकर रूप होने के बाद भी माता अपने एक हाथ से अपने भक्तों को वरदान दे रही होती हैं. अपने भक्तों के लिए मां अत्यंत ही शुभ फलदाई हैं. कई जगह इन्हें शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है.
भक्तों पर प्रभाव :
माता की पूजा से व्यक्ति के जीवन से प्रतिक भय, दुख, रोग, शोक दूर रहते हैं. संसार में उसके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता. प्रत्यक्ष और परोक्ष शत्रुओं का नाश होता है. इनकी पूजा में पवित्रता, शुद्धता, संयम, ब्रह्मचर्य का पालन तथा सत्य मार्ग का अनुसरण करने का विधान होता है.