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ज़िंदगी बचाने की मुहिम! थैलीसीमिया मरीज़ों के लिए ब्लड कैम्प लगाया गया - Thalassemia patients

दिल्ली के तिहाड़ गांव में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस ब्लड कैम्प का आयोजन पिछले 8 साल से लगातार किया जा रहा है. इस कैंप को आयोजित करने वाली संस्था कल्पवृक्ष ने देश की प्रमुख समस्या बन चुकी थैलीसीमिया और डायलिसिस वाले मरीजों के लिए ब्लड जमा करके देती है.

Life saving campaign Blood camp organized for Thalassemia patients
Life saving campaign Blood camp organized for Thalassemia patients

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Published : Apr 25, 2022, 9:07 AM IST

नई दिल्ली :दिल्ली के तिहाड़ गांव में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. इस ब्लड कैम्प का आयोजन पिछले 8 साल से लगातार किया जा रहा है. इस कैंप को आयोजित करने वाली संस्था कल्पवृक्ष ने देश की प्रमुख समस्या बन चुकी थैलीसीमिया और डायलिसिस वाले मरीजों के लिए ब्लड जमा करके देती है.



थैलीसीमिया आज बच्चों की बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है और 21 दिन पर इसमें ब्लड ट्रांसफ्यूजन करना पड़ता है. लेकिन ब्लड की उपलब्धता न हो पाने के कारण कई बच्चों को जान गंवानी पड़ती है. ऐसे बच्चों की मदद के लिए कल्पवृक्ष नाम की संस्था हर साल ब्लड डोनेशन कैम्प लगाती है. जो भी ब्लड जमा होता है, उसे अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में भर्ती इस बीमारी से पीड़ितों के लिए दिया जाता है. तिहाड़ गांव में ब्लड डोनेशन कैम्प में काफी तादाद में लोगों ने ब्लड डोनेट किया.

ज़िंदगी बचाने की मुहिम! थैलीसीमिया मरीज़ों के लिए ब्लड कैम्प लगाया गया

ब्लड डोनेट करने वालों में अधिकतर युवा थे. इस खास मौके पर दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की रीजनल मैनेजर दुर्गेश नंदिनी भी पहुंचीं. उन्होंने युवाओं को ब्लड डोनेट करने के लिए उत्साहित किया. उन्होंने कहा कि आज कई ऐसी बीमारियां हैं. जिनके लिए ब्लड की जरूरत होती है, लेकिन जरूरत के मुताबिक ब्लड इकट्ठा नहीं हो पाता है. क्योंकि लोगों में अभी भी जागरूकता नहीं है. साथ ही उन्होंने संस्था के इस प्रयास की भी सराहना की. संस्था के पदाधिकारी का कहना है कि थैलीसीमिया और डायलिसिस की समस्या देशभर में गंभीर है. इसलिए उन्होंने इसी मकसद से ब्लड डोनेशन कैम्प लगाने की शुरुआत की है.

ज़िंदगी बचाने की मुहिम! थैलीसीमिया मरीज़ों के लिए ब्लड कैम्प लगाया गया

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इस कैम्प में आई डॉक्टर थैलीसीमिया की गंभीरता के बारे में बताती हैं कि जिनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. उन माता-पिता के लिए 21 दिन पर ब्लड अरेंज करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए ऐसे मरीजों के साथ-साथ अन्य ऐसी जरूरत वाले मरीजों के लिए अधिक से अधिक ऐसे कैम्प लगाने की जरूरत है. भारत में सबसे अधिक थैलीसीमिया के मरीज हैं. हर साल एक से डेढ़ लाख बच्चे 20 की उम्र से पहले मौत के मुंह में चले जाते हैं. ये एक आनुवांशिक बीमारी है. इसलिए ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता जरूरी है.

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