नई दिल्ली: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया है. केजरीवाल की जीत को राजनीतिक पंडित कई तरीकों से देखेंगे-जांचेंगे-परखेंगे. केजरीवाल की जीत को किसी भी तरह से देख लीजिए लेकिन एक बात साफ है कि केजरीवाल ने बीजेपी को हराया है.
केजरीवाल ने बीजेपी को कैसे हरा दिया, देखिए स्पेशल रिपोर्ट तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत को कैसे देखा जाए. चलिए उन पांच बिंदुओं पर चर्चा करते हैं जो चुनाव प्रचार के दौरान हमें साफ-साफ दिखाई दीं.
पहला: दिल्ली में बीजेपी का पास सीएम पद का कोई चेहरा नहीं था. वहीं आम आदमी पार्टी के पास केजरीवाल के तौर पर विश्वसनीय चेहरा था. जिसे आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान बहुत अच्छे से लोगों के सामने रखा.
दूसरा: बीजेपी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया. उनके नेताओं ने बिरयानी, शाहीन बाग, पाकिस्तान की बातें की. यही नहीं बीजेपी के एक नेता ने सीएम केजरीवाल को आतंकवादी ही बोल दिया. रूझानों को देखकर कहा जा सकता है कि लोगों ने इन बातों को अहमियत नहीं दी.
तीसराछ आम आदमी पार्टी का स्कूलों, बिजली, सड़कों, झुग्गी झोपड़ियों में काम कराने का दावा और उनकी फ्री की स्कीमें लोगों को पसंद आईं. कहीं ना कहीं लोगों ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए वोट दिया. राष्ट्रीय मुद्दों की अपेक्षा लोगों ने क्षेत्रीय मुद्दों को ज्यादा तवज्जो दी.
चौथा: चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी किसी भी तरह से पीछे नहीं दिखी. केजरीवाल ने सबसे पहले अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया और गली-गली उनके नेता नुक्कड़ सभाएं करने लगे.
पांचवां: आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के हर आरोप का जवाब प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिया. आम आदमी पार्टी नेशनल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पूरी तरह से सक्रिय थी. बीजेपी नेता के आतंकवादी कहे जाने पर सीएम केजरीवाल ने खुद को पीड़ित की तरह पेश किया.
आम आदमी पार्टी की जीत इन पांच बिंदुओें से ऊपर है. कई और भी राजनीतिक समीकरण इस जीत से देखने को मिलते हैं लेकिन एक बात साफ है कि दिल्ली के लोग इस बात को लेकर बिल्कुल साफ हैं कि केंद्र में मोदी और दिल्ली में केजरीवाल. इसका प्रमाण है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर बीजेपी जीती थी.