नई दिल्ली: दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने जब वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया था तब दिल्ली में कोरोना की एंट्री हो चुकी थी. तब की स्थिति के हिसाब से बजट में उस साल के लिए 3 करोड़ और अगले वित्त वर्ष के लिए 50 करोड़ का आवंटन किया गया. लेकिन बाद के दिनों में जिस तरह कोरोना ने भयावह रूप लिया, उसके बाद दिखा कि वो आवंटन नाकाफी साबित हुआ. कोरोना की महामारी के बीच दिल्ली सरकार को अपने सभी खर्चों में कटौती करनी पड़ी.
'राजस्व में आ गई 42 फीसदी कमी'
जब कोरोना के मामले बड़ी संख्या में सामने आने लगे और मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी होने लगी. तब दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य और वेतन सम्बन्धी खर्च को छोड़कर सभी विभागों के अन्य सभी खर्चों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. तब चल रहे अन्य विभागों के सभी प्रोजेक्ट रोक दिए गए. कोरोना और लॉक डाउन का असर यह हुआ कि वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली सरकार के राजस्व में 42 फीसदी की कमी आ गई. केंद्र की तरफ से भी संभावित सहायता नहीं मिली.
'नहीं होने दी बेड्स की कमी'
अब जबकि दिल्ली सरकार अपना बजट लेकर आ रही है, इसमें कहीं न कहीं स्वास्थ्य क्षेत्र पर फोकस होगा. क्योंकि बीते एक साल की कोरोना से लड़ाई की सीख दिल्ली सरकार के सामने है. हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का मानना है कि केजरीवाल सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में जो काम किए गए हैं, उन्हीं का असर है कि कोरोना से लड़ाई में दिल्ली ठीक स्थिति में रही. सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में कभी भी हमने बेड्स की कमी नहीं होने दी.
'सबका इलाज ठीक से किया'