नई दिल्ली: प्रदूषण से दिल्ली में लोग परेशान हैं. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के सबसे बड़े कारण वाहन, सड़कों से उड़ने वाली धूल और विभिन्न राज्यों में जलाई जाने वाली पराली है. दिल्ली में प्रदूषण के रोकथाम के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है. दिल्ली एनसीआर गैस का चैंबर बनता जा रहा है.
तीसरे ग्रैप का चरण लागू:दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन (सीएक्यूएम) की ओर से 1 अक्टूबर से ग्रडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू कर दिया गया है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 21 अक्टूबर की शाम को ग्रैप के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू कर दी गईं. इसके 10 दिन बाद दो नवंबर की शाम को सीएक्यूएम ने ग्रैप के तीसरे चरण की पाबंदियों को दिल्ली में लागू कर दिया. इसके तहत दिल्ली के परिवहन विभाग की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर शुक्रवार से दिल्ली में पेट्रोल के बीएस 3 व डीजल के बीएस 4 वाहनों के संचालन पर पाबंदी लगा दी गई. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 20 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा. इसके साथ ही निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी गई. इन तमाम पाबंदियों के बावजूद भी प्रदूषण के स्तर में विशेष सुधार देखने को नहीं मिल रहा है.
ये तीन हैं प्रमुख कारण: काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर की वेबसाइट पर अपलोड विभिन्न विभागों की स्टडी के अनुसार दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के तीन प्रमुख कारण हैं. दिल्ली में ट्रांसपोर्ट से करीब 30 प्रतिशत, परली के धुएं से करीब 30 प्रतिशत व सड़को से उड़ने वाली धूल से 15 प्रतिशत प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है.