नई दिल्लीः केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्टों में जजों की नियुक्ति को लेकर तनातनी चल रही है. दरअसल, केंद्रीय मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखी थी और उसमें कहा था कि जजों की नियुक्ति को लेकर बने कॉलेजियम सिस्टम में सरकार भी अपना प्रतिनिधित्व चाहती है. इसके बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि यह सबसे ज्यादा खतरनाक है. न्यायिक नियुक्तियों में सरकार द्वारा हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. वहीं, इस ट्वीट पर किरण रिजिजू ने जवाब दिया कि न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर सुविधा के अनुसार राजनीति नहीं होनी चाहिए. भारत का संविधान सर्वोपरि है और इससे ऊपर कोई भी नहीं हो सकता है.
किरण रिजिजू ने कहा कि सीजेआई को लिखी चिट्ठी में वही बातें लिखी गई थी, जो सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने माना था और जिस पर निर्देश दिया गया था. न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर सुविधा के अनुसार राजनीति को मान्य नहीं किया जाना चाहिए. भारत का संविधान सर्वोपरि है और इससे ऊपर कोई नहीं हो सकता है. मुझे उम्मीद है कि आप कोर्ट के निर्देश का सम्मान करेंगे. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने जिस राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द किया था और जो उन्होंने इसके लिए निर्देश दिया था, हम उसी के अनुसार अपना कदम उठाना चाहते हैं.
दोनों नेताओं के बीच यह द्वंद तब सामने आया जब केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर कॉलेजियम सिस्टम में सरकार का प्रतिनिधित्व शामिल करने की सलाह दी थी. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि वह जजों की नियुक्ति को लेकर बने कॉलेजियम सिस्टम से संतुष्ट नहीं हैं. यह चिट्ठी उसी आधार पर लिखी गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट का संविधान पीठ ने कहा था कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग असंवैधानिक है लेकिन जजों की नियुक्ति के लिए कोई और बेहतर उपाय ढूंढ़े जाने चाहिए. रिजिजू की चिट्ठी इसी बेहतर उपाय की दृष्टिकोण से भेजी गई थी.