नई दिल्ली:दिल्ली से संबंधित अलग-अलग मुद्दों पर मतभेद और मनभेद के बीच आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ होने वाली साप्ताहिक मीटिंग में शामिल हुए. मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपराज्यपाल के साथ हुई बातों को साझा किया. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को कांस्टीट्यूशनल एक्सपर्ट रखने की सलाह दी है ताकि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के सम्मान करते हुए चुनी हुई सरकार जनता के हित में काम कर सके.
उपराज्यपाल पद पर आसीन होने के बाद वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार और दिल्ली की जनता से जुड़े फैसलों पर चर्चा करने तथा उसे हरी झंडी देने के लिए शुक्रवार शाम चार बजे का समय मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग के लिए तय किया था. शुरुआत में यह साप्ताहिक मीटिंग ठीक-ठाक चली. लेकिन अगस्त महीने में जब नई आबकारी नीति घोटाले को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई की रेड हुई, उसके बाद से यह मीटिंग लगातार तीन सप्ताह तक स्थगित रही. अक्टूबर में एक मीटिंग हुई. लेकिन उसके बाद फिर अरविंद केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि अभी गुजरात विधानसभा और दिल्ली में होने वाले नगर निगम चुनाव में व्यस्त हैं, जिसके चलते कुछ दिनों के लिए मीटिंग स्थगित कर दी जाए. तब से लेकर आज तक मीटिंग स्थगित कर दी गई थी. इसी सप्ताह उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोबारा मीटिंग शुरू करने बात कही ताकि दिल्ली के विकास को लेकर उसमें चर्चा हो सके.
संविधान और कोर्ट की कॉपी लेकर मीटिंग में पहुंचे केजरीवालः बताया जा रहा है कि करीब ढाई महीने बाद जब मुख्यमंत्री उपराज्यपाल से मीटिंग के लिए पहुंचे तो अपने साथ संविधान और सभी कानूनों की कॉपी भी साथ लेकर गए थे. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल दिल्ली से संबंधित मुद्दे पर भी उपराज्यपाल से चर्चा की. जिसमें मोहल्ला क्लीनिक में कर्मचारियों और डॉक्टरों की तैनाती, दवाइयों की खरीद के लिए फंड, सर्दियों में प्रदूषण की रोकथाम के लिए बनाए गए एक्शन प्लान, हज कमेटी के गठन, दिल्ली में होने वाले फूड फेस्टिवल, फूड ट्रक पॉलिसी, इलेक्ट्रॉनिक सिटी आदि को लेकर उपराज्यपाल के साथ चर्चा की गई.
उपराज्यपाल के साथ मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल के सामने उन्होंने कई मुद्दों को रखा और कहा कि अधिकारी सीधे आपको रिपोर्ट करने के लिए बाध्य नहीं है. संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है. आपने पिछले महीनों में दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह का दफ्तर सील करने के जो फैसले लिए, वह सब आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है, शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाने को रोकने का फैसला भी गलत है.