नई दिल्ली: कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए होम आइसोलेशन को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव में जीत दिल्ली सरकार की ही हुई है. पिछले 3 दिनों से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री लगातार दबाव बनाए हुए थे कि केजरीवाल सरकार जिस तरह पहले बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के होम आइसोलेशन सुविधा दे रही थी. उसकी पैरवी कर रही थी आखिरकार उपराज्यपाल ने भी आज उसे मंजूरी दे दी.
दिल्ली: अब कोरोना मरीजों के लिए कोविड केयर सेंटर जाना अनिवार्य नहीं
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश दिया है कि संक्रमित मरीजों को कोरोना सेंटर में जाकर जांच कराने की जरूरत नहीं होगी. अगर उसमें कोई लक्षण नहीं है तो वह घर पर ही आइसोलेशन में रह सकते हैं.
डीडीएमए की बैठक में बनी सहमति
गुरुवार शाम को उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक में मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री समेत अधिकारियों ने भी होम आइसोलेशन को लेकर केजरीवाल सरकार द्वारा अपनाए तरीके को ही बेहतर बताया. जिसके बाद उपराज्यपाल ने भी उसे मान लिया और संक्रमित मरीजों को लेकर उन्होंने जो रविवार को आदेश जारी किया था उसे वापस ले लिया है.
जानिए, क्या बोले मनीष सिसोदिया
उपराज्यपाल के साथ हुई बैठक के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वह पहले से ही कहते आ रहे थे कि केंद्र सरकार के आदेश पर उपराज्यपाल ने जो होम आइसोलेशन का तरीका बताया था वह सही नहीं है. केजरीवाल सरकार जिस तरह पहले संक्रमित मरीजों के होम आइसोलेशन के दिशा निर्देश जारी किए थे. वही लागू किया जाए. उन्हें खुशी है कि अब इस पर सहमति बन गई है और अब यह दिल्ली में वही फॉर्मूला लागू होगा जो पहले था.
बुधवार को मनीष सिसोदिया ने होम आइसोलेशन को लेकर केजरीवाल सरकार के मॉडल को बेहतर बताया था. जिसमें हल्के लक्षण व बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीजों को घर पर रहने और उन्हें फोन पर सुविधा उपलब्ध कराने की बात थी. केंद्र सरकार के निर्देश पर उपराज्यपाल ने जिस तरह प्रत्येक संक्रमित मरीजों को अस्पताल आने और उसके बाद उसे कहां रहना है, यह तय करने को लागू कर दिया गया था. जिसे सिसोदिया ने अमित शाह का मॉडल बताते हुए केजरीवाल मॉडल से तुलना की थी.