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गुजरात चुनाव में हार के बाद राजनीतिक संतुलन खो चुके हैं केजरीवाल : वीरेंद्र सचदेवा - BJP working president Virendra Sachdeva

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन हुए हंगामे और कार्यवाई पर दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रेस रिलीज जारी कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्हें बेहद अहंकारी नेता बताया और कहा कि गुजरात चुनाव में करारी हार के बाद उनकी बौखलाहट साफ दिखाती है कि वह अपना राजनीतिक संतुलन और मानसिक शांति खो चुके हैं.

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा
बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा

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Published : Jan 17, 2023, 6:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी हंगामा जारी रहा. बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अहंकारी और सनकी नेता बताते हुए कहा कि गुजरात में हारने के बाद केजरीवाल अपनी मानसिक शांति खो चुके हैं. जिस पार्टी का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है, वह 2024 में चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में आने के सपने देख रही है. दिल्ली में एलजी एडमिनिस्ट्रेटर भूमिका में हैं और वह अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन हुए हंगामे और कार्यवाई पर दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रेस रिलीज जारी कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्हें बेहद अहंकारी नेता बताया और कहा कि गुजरात चुनाव में करारी हार के बाद उनकी बौखलाहट साफ दिखाती है कि वह अपना राजनीतिक संतुलन और मानसिक शांति खो चुके हैं. इन दिनों जिस तरह से केजरीवाल एलजी के साथ बहस और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की गलत व्याख्या कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि उन्हें वर्तमान एलजी द्वारा आदेशित कई जांचों द्वारा अपनी सरकार के विभिन्न विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलने का डर सता रहा है.

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वीरेंद्र सचदेवा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि केजरीवाल एक अहंकारी नेता हैं जो यह महसूस करते हैं कि चुनाव जीतने से संवैधानिक प्रावधानों को गलत तरीके से लोगों के सामने भ्रामक तरीके से रखकर उनका विश्वास जीत सकते हैं. अरविंद केजरीवाल सोचते हैं कि चुनाव जीतने के साथ उन्हें मनमाने ढंग से सरकार चलाने का अधिकार मिल गया है. लेकिन वह भूल गए हैं कि दिल्ली में एलजी एडमिनिस्ट्रेटर की अहम भूमिका निभाते हैं. 1952 के बाद से सभी दलों की कई निर्वाचित सरकारें दिल्ली में आईं हैं लेकिन सभी ने स्वीकार किया कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और इसलिए उपराज्यपाल प्रशासक हैं, जिनके पास शासन के आरक्षित और स्थानांतरण दोनों विषयों पर अंतिम प्रचलित शक्ति है।

उन्होंने कहा है कि यह स्तब्ध कर देने वाली बात है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के अहंकारी दिवास्वप्न इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि केंद्र में जल्द ही उनकी पार्टी की सरकार बनेगी. यह वाकई चौंकाने वाली बात है कि जिस पार्टी का लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है, उसका अध्यक्ष जल्द ही केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रहा है.

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