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खुशखबरी: किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी केजरीवाल सरकार

गोपाल राय ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस और मौजूदा भाजपा सरकार स्वामीनाथन कमेटी को लागू करने में गंभीर नहीं है. गत 29 जनवरी को सबसे पहले स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को दिल्ली में लागू किया जा सकता है या नहीं, इस पर मंथन शुरू किया था.

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी केजरीवाल सरकार

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Published : Feb 24, 2019, 10:15 PM IST

नई दिल्ली:चुनावी मौसम में दिल्ली सरकार ने दिल्ली के किसानों को स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों की तरह 'मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना' के तहत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का फैसला लिया है. रविवार को दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने विकास विभाग को इसके लिए कैबिनेट प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है.

गोपाल राय ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस और मौजूदा भाजपा सरकार स्वामीनाथन कमेटी को लागू करने में गंभीर नहीं है. गत 29 जनवरी को सबसे पहले स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को दिल्ली में लागू किया जा सकता है या नहीं, इस पर मंथन शुरू किया था. किसानों के साथ कई बैठकें हुई. गत 5 और 7 फरवरी दिल्ली के नरेला और नज़फगढ़ मंडी में किसानों से सुझाव लिए गए. इसके बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर 'मुख्यमंत्री किसान मित्र योजना' के तहत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिल्ली के किसानों को दिया जाय.

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी केजरीवाल सरकार

विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव कैबिनेट से पास होने के बाद उसे लागू किया जाएगा. इसके बाद दिल्ली में धान व गेहूं पैदावार करने वाले किसानों को मौजूदा समर्थन मूल्य से करीब 50 फीसद अधिक समर्थन मूल्य मिलने लगेगा. बता दें कि किसानों को उनके फसल का न्यूनतम मूल्य व अन्य सुविधाएं देने के लिए 4 दिसंबर 2018 को दिल्ली सरकार के विकास विभाग ने एक तीन सदस्य विभागीय कमेटी बनाई गई थी.

इस कमेटी ने तेलंगाना और उड़ीसा सरकार द्वारा किसानों के लिए तैयार योजनाओं पर अध्ययन किया था. दिल्ली में कुल कृषि योग्य भूमि 75 हजार एकड़ है और 20000 से ज्यादा किसान हैं. नरेला, नजफगढ़, अनाज मंडी में हर साल करीब 17000 टन अनाज जाता है इसमें अधिकतर अनाज दिल्ली के होते हैं. इसके अलावा आजादपुर, केशोपुर, ओखला सब्जी मंडी सहित अन्य मंडियों में भी दिल्ली के किसान अपनी फसल बेचने जाते हैं.

क्या है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट
बता दें कि देश में अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार ने 18 नवंबर 2004 को एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था. आयोग ने 2 साल बाद 2006 में 5 रिपोर्ट सौंपी थी. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है, अतिरिक्त और बेकार जमीनों को भूमिहीनों में बांटने, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देने, आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमिशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. लेकिन इन सिफारिशों को केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया है.

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