नई दिल्ली: दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाने को लेकर एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी है. आज केजरीवाल सरकार ने विधायकों के वेतन बढ़ाने के लिए गठित कमेटी द्वारा देश के 9 राज्यों में जिस तरह विधायकों का वेतन है उसकी स्टडी रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के विधायकों का वेतन बढ़ाने के फैसले को मंजूरी दी है.
दरअसल, साल 2015 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई केजरीवाल सरकार ने कार्यभार संभाला था, तभी विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया था. जो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित भी हो गया था फिर उसे उपराज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था. उपराज्यपाल ने उसे केंद्र के पास भेज दिया था, लेकिन केंद्र में सीधे वेतन बढ़ाने के बदले दिल्ली सरकार को कुछ सुझाव दिए थे. उसके बाद वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था.
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साल 2020 में जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दोबारा सरकार बनी तो सितंबर महीने में विधायकों का वेतन बढ़ाने को लेकर हलचल शुरू हो गई थी. विधायकों का वेतन कितना बढ़ाया जाए, कैसे बढ़ाया जाए, इन सब के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा कमेटी बनाई गई. जिसके बाद यह कमेटी वर्तमान हालात और देश के अन्य विधानसभाओं में विधायकों के वेतन आदि को लेकर नए सिरे से प्रस्ताव पर तैयार किया और उसे आज कैबिनेट ने मंजूरी दी है. इसमें देश के 9 राज्यों के विधायकों को मिलने वाले वेतन का भी जिक्र किया गया है.
केजरीवाल सरकार के पिछले कार्यकाल (2015-2020) में विधायकों का वेतन बढ़ाने को लेकर विधानसभा में लंबे समय तक प्रक्रिया चली थी. कमेटी बनाई गई और उसके बाद विधायकों का वेतन वर्तमान की तुलना में 4 गुना अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव भी विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया था. लेकिन गृह मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान नहीं की. अब दोबारा सरकार की सहमति से विधायकों का वेतन पुनर्निधारण करने का फैसला लिया गया है.