नई दिल्ली:भारतीय संस्कृति की पोशाकों में कुर्ता पायजामा का महत्वपूर्ण स्थान है. देश भर के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग स्टाइल में कुर्ता पायजामा पहना जाता है. कुर्ते को अफगानिस्तान में पैरहन, कश्मीर में फिरान और नेपाल में दौरा के नाम से जानते हैं. वहीं राजस्थानी, भोपाली, लखनवी, मुल्तानी, पठानी, पंजाबी और बंगाली, हर कुर्ते का डिजाइन अलग और खास होता है.
दिल्ली के करोलबाग मार्केट में 1972 से कुर्ता पायजामा बेचने वाले विनोद मोंगा ने ईटीवी भारत को आज कल ट्रेंड में चलने वाले कुर्तों के साथ इनकी डिमांड, दाम और लोगों की पसंद के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि आज यंग जेनरेशन में भी कुर्ता पहनने का चलन बढ़ा है. पहले तो केवल सफेद रंग के कुर्ते पहने जाते थे, लेकिन आज कल हर डिजाइन और बेहतरीन रंगों के कुर्ते बाजार में उपलब्ध हैं. यहां तक कि अब तो शादी के कार्यक्रमों में भी फंक्शन के हिसाब से डिजाइनर कुर्ते पहने जाते हैं. जैसे हल्दी के लिए लोग पीले संग का कुर्ता लेना पसंद करते हैं, वहीं मेहंदी के लिए हरे रंग के कुर्ते चलन में है.
गर्मियों में कैसे कुर्तों की होती है डिमांड:विनोद मोंगा ने बताया कि गर्मियों में खास तौर पर कॉटन के कुर्ते ज्यादा डिमांड में होते हैं, क्योंकि यह पहनने में आराम दायक होते हैं. उन्होंने बताया कि आज कल ग्राहक भी बहुत जागरूक हो चुके हैं. वह जानते हैं कि गर्मियों में कौन सा कपड़ा ज्यादा आरामदायक है. इसलिए वह कॉटन की तमाम वेराइटीज जैसे रियॉन, वॉईल आदि कपड़ों की भी डिमांड करते हैं. आज कल कॉटन के कुर्तों ने काफी अच्छा बाजार बना लिया है. इनमें प्रिंटेड कुर्ते, लखनवी कढ़ाई वाले कुर्ते व जरी वाले कुर्ते आदि मौजूद हैं, जो केवल युवाओं द्वारा ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं.
इस सीजन में बढ़ जाती है कुर्तों की डिमांड:उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों से जुड़े नेता और कार्यकर्ता तो पूरे साल कुर्ता पायजामा ही पहनना पसंद करते हैं. इसलिए वे एक साथ कई सेट खरीदकर ले जाते हैं. इलेक्शन के दौरान इनकी सेल बढ़ जाती है, क्योंकि नेताओं के चुनाव प्रचार में घूमते समय कुर्ता पायजामा जल्दी गंदा और मैला हो जाता है.