दिल्ली: नाबालिग दे रहे बड़े अपराधों को भी अंजाम, रोजाना 8 को पकड़ रही पुलिस - दिल्ली क्राइम में सबसे ज्यादा नाबालिग
जिस उम्र में कंधे पर बस्ता और हाथों में कलम होनी चाहिए, ऐसी उम्र में इन बच्चों के हाथों में हथियार है. ऐसा ही हाल दिल्ली का है. यहां पर रोजाना 8 नाबालिग पकड़े जा रहे हैं. इनमें से 3 गंभीर अपराधों में पकड़े जाते हैं.
सेवानिवृत्त एसीपी वेदभूषण
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Published : Jul 14, 2020, 10:39 AM IST
नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में होने वाले गंभीर अपराधों में अब नाबालिगों की संख्या बढ़ती जा रही है. बीते सोमवार को ख्याला इलाके का एक दिल दहलाने वाला वीडियो भी सामने आया, जिसमें नाबालिग 70 बार चाकू मारकर एक शख्स की जान ले लेते हैं. नाबालिगों के अपराध में शामिल होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना दिल्ली में 8 नाबालिग पकड़े जा रहे हैं. इनमें से 3 गंभीर अपराधों में पकड़े जा रहे हैं.
दिल्ली में रोजोना 3 गंभीर आरोपों में पकड़े जाते नाबालिग
कानून में बदलाव करने की जरूरत
दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त एसीपी वेदभूषण ने बताया कि राजधानी में नाबालिग लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं क्योंकि उन्हें कानून की खामियों का पता है. उन्हें पता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी. उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हो सकती. इसलिए बहुत से गैंग भी चोरी, झपटमारी, लूट और यहां तक कि हत्या के लिए भी नाबालिगों का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून में बदलाव करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि विदेशों में अपराध की गंभीरता को देखते हुए एक्शन लिया जाता है, भले ही आरोपी नाबालिग हो.
30 जून तक पकड़े गए 1,400 नाबालिग
अभी के समय में औसतन आठ नाबालिग रोजाना दिल्ली पुलिस द्वारा अपराध में पकड़े जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के विभिन्न जिला की पुलिस ने नाबालिगों के खिलाफ 1,066 मामले दर्ज किए हैं. वही 313 नाबालिगों के खिलाफ डीडी एंट्री की गई है. पकड़े गए नाबालिगों में से 339 बेहद गंभीर अपराध में पकड़े गए जबकि 923 नाबालिग कम गंभीर अपराध में पकड़े गए हैं. पुलिस सूत्रों के अनुसार गंभीर अपराधों में शामिल 59 नाबालिगों को काउंसलिंग के बाद छोड़ा गया. वहीं छोटे अपराधों में 637 नाबालिगों को काउंसलिंग के बाद छोड़ दिया गया. वहीं 500 से ज्यादा नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा गया है. इनमें से 279 नाबालिग गंभीर अपराधों में शामिल थे जबकि 256 नाबालिग सामान्य वारदातों में शामिल थे.
परिजनों पर भी होना चाहिए एक्शन
सेवानिवृत्त एसीपी वेदभूषण ने बताया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नाबालिग के परिजनों पर एक्शन होना चाहिए. उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे गलत रास्ते पर न जाएं. उन्होंने बताया कि निर्भया कांड में सबसे ज्यादा बर्बरता करने वाला इसलिए बच गया क्योंकि वह नाबालिग था. लोग इसका फायदा उठाते हुए नाबालिगों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनमें परिवार के लोग नाबालिग बच्चियों से गंभीर आरोप लगवा लोगों को दुष्कर्म में फंसा देते हैं. ऐसी घटना में पीड़ित झूठे आरोप के चलते जेल चले जाते हैं, उनकी समाज में छवि खराब होती है. ऐसी घटनाओं को भी रोकने के लिए सरकार को सोचना होगा.