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JNU प्रशासन ने बुलाई आपातकालीन बैठक, शिक्षक संघ ने लगाए आरोप

जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार की ओर से एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि मानसून सत्र 2019 के कई मुद्दों को लेकर जेएनयू अकादमी काउंसिल की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार कई मुद्दों की चर्चा की गई.

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Published : Feb 6, 2020, 11:33 PM IST

JNU administration called emergency meeting
JNU प्रशासन ने बुलाई आपातकालीन बैठक

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अकादमिक काउंसिल की आपातकालीन बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार मानसून सत्र 2019 के कुछ मुद्दों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.

JNU प्रशासन ने बुलाई आपातकालीन बैठक

इन फैसलों से हाईकोर्ट को भी अवगत करवाया जाएगा. वहीं जेएनयू प्रशासन का कहना है कि जेएनयू शिक्षक संघ ने मीटिंग की बात पूरी होने से पहले ही प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए आधी अधूरी जानकारी सार्वजनिक कर दी. जहां जेएनयू टीचर्स फेडरेशन ने प्रशासन के निर्णय पर खुशी जाहिर की है. वहीं जेएनयू शिक्षक संघ ने इस मीटिंग को महज़ खानापूर्ति बताया और कहा कि कुलपति ने इस मीटिंग में कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है.

100 से अधिक सदस्यों ने लिया हिस्सा
बता दें कि जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार की ओर से एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि मानसून सत्र 2019 के कई मुद्दों को लेकर जेएनयू अकादमी काउंसिल की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार कई मुद्दों की चर्चा की गई. वहीं बोर्ड ऑफ स्टडीज एंड स्पेशल कमिटी के सलाह पर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. जिसे जल्दी ही हाईकोर्ट तक पहुंचा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस मीटिंग में सौ से अधिक सदस्य शामिल थे.

वहीं उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि मीटिंग की बातें अभी निष्कर्ष पर भी नहीं पहुंची थी और शिक्षक संघ ने अनुचित बयानबाजी कर जेएनयू प्रशासन पर झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए. वहीं जेएनयू प्रशासन ने अपील की है कि मीटिंग में किसी भी बात का गलत मतलब निकाला जाए और गलत बातें सार्वजनिक करके विश्वविद्यालय की गरिमा को तार-तार करने की कोशिश ना की जाए.

वहीं जेएनयू टीचर्स फेडरेशन ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की मीटिंग करना बहुत जरूरी था. जिससे सभी अकादमिक गतिविधियां बिना किसी रूकावट के सुचारू रूप से हो सके. साथ ही कहा कि शिक्षक संघ ने जेएनयू के इस निर्णय पर जो पक्ष लिया है वह अलोकतांत्रिक है.

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