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Delhi crime: राजधानी दिल्ली में अपराधों में बढ़ रही नाबालिगों की संलिप्तता, जानें क्राइम ब्रांच का चौंकाने वाला खुलासा - child welfare society

Minors are committing crimes in Delhi: दिल्ली में आपराधिक मामलों में नाबालिग की संलिप्तता का आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है. आज नाबालिग हर तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं. छोटी से बड़ी आपराधिक घटनाओं में नाबालिग शामिल हो रहे हैं. इनके आपराधिक वारदातों में शामिल होने के पीछे माहौल और शिक्षा का ना मिलना बड़ी वजह है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 20, 2023, 7:14 PM IST

नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में आपराधिक मामलों में कोई गिरावट नहीं आ रही है. आपराधिक घटनाओं की सूची जारी होने पर जो सबसे चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं, वो है आपराधिक वारदातों में नाबालिगों की संलिप्तता. आपराधिक वारदातों में जिस तरह से नाबालिग शामिल हो रहे हैं, वह चिंता का विषय है. काफी कम उम्र के युवक छोटी-छोटी बातों में लड़ाई झगड़ा, चाकूबाजी, हत्या जैसी वारदातों में शामिल हो रहे हैं. दिल्ली में 2022 में आपराधिक वारदातों में शामिल रहे 3002 नाबालिग पकड़े गए हैं.

गिरोह देता है स्पेशल ट्रेनिंग:क्राइम ब्रांच और स्पेशल स्टाफ की टीम ने कई ऐसे मामलों का खुलासा किया है, जिनमें नाबालिगों की संलिप्तता सामने आई है. क्राइम ब्रांच के अनुसार गिरोह के लोग नाबालिगों को उनकी जरूरत के हिसाब से लालच देकर अपने गिरोह में शामिल करते हैं. गैंग में शामिल करने के बाद उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है. उनसे टायर पंक्चर कर चोरी, झपटमारी, जेबतराशी, चोरी एवं सेंधमारी जैसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए कहा जाता है. जब वे छोटे अपराध में माहिर हो जाते हैं तो उन्हें गंभीर अपराधों में शामिल किया जाता है. गैंग का कोई भी सदस्य अगर पकड़ा जाता है तो उसका कानूनी खर्च भी गैंग ही वहन करता है. नाबालिग को भी उनके कानूनी अधिकार बता दिए जाते हैं ताकि वह बेखौफ होकर वारदात कर सके. मदनगीर, संगम विहार, सीमापुरी आदि इलाकों में नाबालिग अपने भी छोटे छोटे गिरोह चलाते हैं.

आपराधिक वारदातों में नाबालिग

माहौल देखकर होते हैं बच्चे प्रभावित:आपराधिक वारदातों में नाबालिगों की बढ़ती संलिप्तता को लेकर मशहूर साइकोलॉजिस्ट डॉ. रोहिणी सिंह कहती है कि बच्चे बड़ों को देखकर नकल करते हैं. बच्चों के आसपास के माहौल में ’एडल्ट’ कंटेंट की भरमार है. चाहे यूट्यूब हो या दूसरे सोशल मीडिया, सभी में ऐसे ही कंटेंट हैं. बच्चे समय से पहले ही वो सारी बातें जान लेते हैं जो उनके कोमल मन पर गलत असर डालने वाली होती हैं. एक तरफ तो बच्चे मन से कमजोर और कोमल होते हैं, दूसरी तरफ उनके रोज के अनुभव ’एडल्ट्स’ वाले हो गए हैं.

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"बच्चे सही या गलत में भेद नहीं कर पाते हैं. दुर्भाग्य से पारिवारिक वातावरण और ढांचा भी इतनी तेजी से बदल रहा है कि बहुत से परिवार में वह माहौल नहीं रहा जिसमें बच्चे कुछ अच्छा सीख सकें. अक्सर बच्चे को सिंगल पेरेंट ही मिल पाते हैं. अकेलापन, मानसिक और भावनात्मक दूरी के कारण बच्चे गलत कामों में संलिप्त हो जाते हैं."- डॉ. रोहिणी सिंह,साइकोलॉजिस्ट

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शिक्षा नहीं मिलना है बड़ी वजह:घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय ओली ने कहा कि ऐसा होने के पीछे बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पाना है. बच्चों की शिक्षा और उनके पुनर्वास के लिए सरकार कई योजनाएं बनती है, लेकिन उन योजनाओं का लाभ निचले स्तर तक नहीं मिल पाता है. गरीब और बेसहारा बच्चों को बाल श्रम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. बाल श्रम के दौरान उनके मन को भी ठेस पहुंचता हैं. कुछ बच्चों को भीख मांगने के लिए भी मजबूर किया जाता है. इन सब कारणों से बच्चे अपराध के दलदल में पहुंच जाते हैं.

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"सरकार और सामाजिक संस्थाओं को ऐसे बच्चों की शिक्षा और उनके आसपास के वातावरण पर शुरू से ही ध्यान देना चाहिए ताकि वे अपराध की दलदल में न जाएं."- अजय ओली,अध्यक्ष, घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी

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