नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) में सत्ता में पहली बार काबिज होने वाली आम आदमी पार्टी ने निगम चुनाव के प्रचार के दौरान दिल्ली की बदहाल सफाई व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाया था. दिल्ली के तीन मुहाने पर बने कूड़े के पहाड़ को शहर का धब्बा बताते हुए पिछली सरकारों को जमकर कोसा. उन्होंने लोगों से वोट देने की अपील की, ताकि साफ-सफाई के मामले में दिल्ली को देश का नंबर वन शहर बना सके. बीते अक्टूबर में भारत सरकार की जारी स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में इंदौर सबसे साफ शहर तो दिल्ली नगर निगमों की रैंकिंग काफी नीचे थी.
स्वच्छता रैंकिंग में टॉप शहर इंदौर और दिल्ली नगर निगम की इस वर्ष की रैंकिंग क्या है?
स्वच्छता के मामले में इंदौर नगर निगम टॉप पर है. वहीं, स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में दिल्ली काफी पीछे है. सर्वेक्षण में एनडीएमसी को 37 वां, पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 34वां और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 28 वां स्थान मिला था. अब तीनों निगम एक हो गई है तो रैंकिंग में ऊपर आने की चुनौती बड़ी है. क्षेत्रफल, जनसंख्या और स्थानीय निकाय का बजट की तुलना करें तो इंदौर से दिल्ली के पास यह तीन गुना अधिक है. दिल्ली नगर निगम एममसीडी के पास 250 वार्ड है. इसकी देखरेख करने के लिए 15 हजार करोड़ का सालाना बजट है. बावजूद दिल्ली इंदौर जैसे शहरों से पीछे है.
इंदौर शहर में साफ-सफाई की क्या है व्यवस्था?
530 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के पास शहर का कूड़ा ढोने के लिए 1500 वाहनों का बेड़ा है और 11 हज़ार सफाई कर्मचारियों की एक टीम है. इंदौर निगम के पांच हजार करोड़ रुपये के वार्षिक बजट में से लगभग 1200 करोड़ रुपये स्वच्छता के लिए आवंटित किए गए हैं. इसमें वेतन और अन्य विविध व्यय शामिल हैं. इंदौर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए चार्ज आईएमसी डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए निवासियों पर मामूली शुल्क लगाती है.
शुल्क मलिन बस्तियों में हर एक घर से प्रति माह 60 रुपये, मध्यम वर्ग के इलाकों में हर घर से प्रति माह 90 रुपये और पॉश इलाकों में प्रति माह 150 रुपये तक है. लेकिन दिल्ली की बात करें तो यहां एमसीडी की छोटी गाड़ियां कूड़ा लेने के लिए निकलती तो है लेकिन मनमानी ऐसी की आम लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता. अधिकांश कॉलोनियों के लोग घरों से कूड़ा फेंकने के लिए निजी कुड़ेवाले को पैसा देते हैं या अपना कूड़ा जहां तहां फेंकते हैं. नतीजा है दिल्ली देश की राजधानी है, बावजूद जगह-जगह कूड़ा दिखाई देता है.
दिल्ली में सफाई व्यवस्था की स्थिति क्या है?
दिल्ली में स्वच्छता और प्राथमिक शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने में नागरिक निकाय विफल रहा है. सफाई का मुद्दा दिल्ली में एमसीडी चुनावों से पहले भी नियमित अंतराल पर सामने आया है. चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी राशि स्वीकृत होने के बावजूद इस पर स्थिति जस की तस है. स्वच्छता के लिए आवंटन 4,153.28 करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का 27.19 प्रतिशत है. घरों से कूड़ा संग्रह से लेकर बाहर कॉलोनी, बाजारों में साफ-सफाई के लिए जिस तादात में मशीनें व अन्य उपकरण की जरूरत है वह आज तक स्थानीय निकाय के पास नहीं है.
सफाई व्यवस्था में फिसड्डी रहने रहने का कारण कम बजट तो नहीं? कहां-कहां से होती निगम की कमाई?
एमसीडी के लिए आय का मुख्य स्रोत है संपत्ति कर से होने वाली आमदनी, विज्ञापन राजस्व, टोल टैक्स, पार्किंग शुल्क और मोबाइल फोन टावरों से मिलने वाला टैक्स. संपत्ति कर एमसीडी के लिए राजस्व के मुख्य स्रोतों में से एक है और इसका अधिकांश हिस्सा दक्षिण दिल्ली से एकत्र किया जाता है. 2021-22 के लिए कुल संपत्ति कर संग्रह लगभग 11.50 लाख संपत्तियों से 2,032 करोड़ रुपये था. अपने बजट से स्वच्छता उपायों के लिए 27.19 प्रतिशत आवंटन के बावजूद ऐसे कई उदाहरण हैं, जब सफाई कर्मचारी अपने वेतन में देरी या बकाया का भुगतान न करने के कारण हड़ताल पर चले गए थे. एमसीडी में 60 हज़ार सफाई कर्मचारियों में से 30 हज़ार से अधिक कर्मचारी 1998 से अस्थायी आधार पर काम कर रहे हैं. हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने यह कहते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों में कचरा इकट्ठा करने और सड़कों पर झाडू लगाने से इनकार कर दिया था कि एमसीडी ने उनसे सिर्फ खाली वादे ही किए हैं.