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लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामले; साइकोलॉजिस्ट ने कहा, खुद को खत्म करना नहीं है समस्या का समाधान

आज के युग में लोग आत्महत्या करने को परेशानी खत्म होने का जरिया मान लेते हैं. परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए तो जान दे दी, नौकरी में प्रमोशन नहीं हुआ तो फांसी लगा ली. पारिवारिक विवाद में महिलाएं जान दे रही हैं. कारोबार घटा हुआ तो आत्महत्या कर ली. गंभीर बीमारी हुई तो इलाज कराने की बजाए फांसी लगा ली. ये सारी ऐसी वजहें हैं जिससे लोग आत्महत्या कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 29, 2023, 11:08 PM IST

नई दिल्ली:देश के राजधानी दिल्ली में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या के मामले में दिल्ली वर्ष 2021 में देश में पहले नंबर पर थी. 2021 में यहां 2760 आत्महत्या हुई थीं. दूसरे नंबर पर चेन्नई और तीसरे नंबर पर बेंगलुरु रहा है. लोग छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं.

लगातार बढ़ रही घटनाएं:सिविल लाइन इलाके में बीते मंगलवार को शहीद भाई बाल मुकुंद सर्वोदय विद्यालय की छात्रा ने आत्महत्या कर ली. सीआर पार्क में सोमवार देर रात होटल में 28 साल के युवक ने अपनी जान दे दी. बताया जा रहा है की युवक मानसिक तनाव में था. मंगलवार को ही सिविल लाइन थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शहीद भाई बाल मुकुंद सर्वोदय विद्यालय की बिल्डिंग की छत से 9वीं की छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की, उसका इलाज चल रहा है. मई में दिल्ली मेट्रो के एक सुपरवाइजर ने अपनी पत्नी और दो बच्चों पर चाकू से हमला करने के बाद फांसी लगा ली. वहीं, आनंद विहार में युवक ने फांसी लगा ली.

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लगातार हो रहे आत्महत्या के बड़े मामले: बुराड़ी में एक घर में 11 लोगों ने एक साथ सुसाइड कर लिया था. घर के लोग तंत्र मंत्र में विश्वास करते थे और उसी को लेकर आत्महत्या की. वहीं, वसंत विहार में घर को गैस चैंबर में तब्दील करके मां और दो बहनों ने सुसाइड किया था. इनके पिता की कोरोना से मौत हो गई थी. उसके बाद से पूरा परिवार डिप्रेशन में चला गया और भविष्य को लेकर चिंतित था.

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कोई व्यक्ति आत्महत्या का कदम तभी उठाता है जब उसे अपनी जिंदगी में हर तरफ से निराशा मिलती है और उम्मीद का हर रास्ता बंद हो जाता है. इसलिए जब भी कोई व्यक्ति ऐसा दिखे चाहे वह घर परिवार का हो या समाज का. उसे मनोचिकित्सक तक पहुंचाना चाहिए ताकि उसकी सही काउंसलिंग हो सके. अपने बच्चों पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ न डालें. वे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उसमें सहयोग करें. उनका मार्गदर्शन करें, लेकिन अपनी इच्छा उन पर थोपे नहीं.
- प्रो. डॉ. गुरविंदर अहलूवालिया, साइकोलॉजिस्ट, लिंग्याज यूनिवर्सिटी

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