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राजधानी में झपटमारों से सावधान! इस साल तेजी से बढ़ीं घटनाएं - दिल्ली स्नैचिंग केस

राजधानी दिल्ली में 2020 में झपटमार निरंकुश रहे. यहां पांच साल बाद इतनी ज्यादा झपटमारी की वारदातें सामने आईं, साल 2020 में 15 अक्टूबर तक 5928 वारदातें हो चुकी हैं.

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दिल्ली में झपटमारी की घटनाएं

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Published : Dec 1, 2020, 4:39 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 7:52 PM IST

नई दिल्ली:राजधानीदिल्ली की सड़कों पर साल 2020 में झपटमारों ने जमकर वारदातों को अंजाम दिया. आंकड़े बताते हैं कि रोजाना 20 से ज्यादा झपटमारी की वारदातें विभिन्न थानों के क्षेत्र में हुई हैं. अपराध की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पांच साल बाद इसमें बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.

दिल्ली में झपटमारी की घटनाएं.

साल 2019 में जहां 15 अक्टूबर तक 5011 झपटमारी की घटनाएं हुई थीं तो वहीं साल 2020 में 15 अक्टूबर तक 5928 वारदातें हो चुकी हैं. राजधानी में झटपटमारी की वारदातें ज्यादातर युवाओं द्वारा अंजाम दी जाती हैं. बदमाश स्कूटी या बाइक पर सवार होकर झपटमारी की वारदात करते हैं.

महिलाओं के गले से चेन/मंगलसूत्र तोड़ना हो या मोबाइल की झपटमारी, बदमाश पलक झपकते ही वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं. पुलिस इस तरीके से वारदात करने वाले कई गैंग पकड़ती भी है, लेकिन इसके बावजूद इस साल झपटमारी के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. खुद पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव भी सभी जिला डीसीपी को इस पर काबू पाने के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश दे चुके हैं.

20 फीसदी बढ़ गई झपटमारी

झपटमारी की वारदातों को लेकर दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि महज 15 अक्टूबर तक झपटमारी की वारदातों में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. वृद्धि का यह आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता था. अगर राजधानी में लॉकडाउन नहीं लगा होता.

राजधानी में अप्रैल और मई महीने के दौरान लॉकडाउन के चलते झपटमारी की वारदातों में काफी कमी आई थी, लेकिन इसके बाद से झपटमारी की वारदातों में जिस तरह से इजाफा हुआ, वह पुलिस के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है. पुलिस सूत्रों की मानें तो इस दौरान अधिक संख्या में झपटमार गिरफ्तार भी हुए हैं, लेकिन वारदातों का कम नहीं होना पुलिस की मेहनत का फेल होना दर्शाता है.

साल 2016 से अब तक झपटमारी के आंकड़े-

दिल्ली में साल 2016 से अब तक झपटमारी के आंकड़े

झपटमारी बढ़ने के रहे दो मुख्य कारण

पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पैदा हुई बेरोजगारी की समस्या और जेल से छोड़े गए कैदी इसके बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब लोगों की नौकरी गई तो उन्हें रुपयों की आवश्यकता थी.

ऐसे में कुछ लोगों ने अपराध का रास्ता चुन लिया. ऐसे कई झपटमार पकड़े गए हैं, जिन्होंने पहली बार वारदात को अंजाम दिया था. दूसरी तरफ लॉकडाउन के दौरान जेल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए जमानत पर कैदी छोड़े गए थे.

यह देखने में आया कि बड़ी संख्या में जेल से आए बदमाशों ने दोबारा झपटमारी और लूटपाट की वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया. ऐसे कई बदमाश पकड़े भी गए हैं. हालांकि सर्दी का मौसम आने के चलते जल्द ही इस आंकड़े में कमी देखने को मिलेगी.

Last Updated : Dec 1, 2020, 7:52 PM IST

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