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प्रशासन पस्त-चोर मस्त! हर 80 मिनट में होती है एक झपटमारी

दिल्ली की सड़कें दिनों-दिन खतरनाक होती जा रही है. ये हम नहीं कर रहे बल्कि दिल्ली पुलिस के आंकड़े कहते हैं. आंकड़े बताते हैं कि राजधानी में हर 80 मिनट में झपटमारी की एक घटना होती है.

झपटमारी से परेशान दिल्ली

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Published : Apr 15, 2019, 5:30 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी की सड़कों पर झपटमारों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि औसतन 80 मिनट के भीतर झपटमारी की एक वारदात अंजाम दी जा रही है.

राजधानी में बढ़ी झपटमारी की वारदात

झपटमार ज्यादातर उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो सड़क पर हाथ में मोबाइल लेकर चलते हैं. इन वारदातों ने दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा रखी है क्योंकि पहले ऐसी घटनाओं में कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है.

वारदातों के आगे लाचार दिल्ली पुलिस
जानकारी के अनुसार दिल्ली में पहली तिमाही में झपटमारी की वारदातों में बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2018 में जहां झपटमारी की 1507 वारदातें पहली तिमाही में हुई थी तो वहीं वर्ष 2019 की पहली तिमाही में 1562 झपटमारी की वारदातें हो चुकी हैं. औसतन 17 झपटमारी की वारदातें रोजाना दिल्ली की सड़कों पर अंजाम दी जा रही है जिससे लोग खासे परेशान हैं.
सड़क पर होने वाली इस तरह की वारदातों को रोकने में पुलिस भी लाचार दिख रही है.

अधिकारियों की बढ़ी चिंता
दिल्ली में बढ़ी झपटमारी की वारदात को लेकर पुलिस अधिकारी भी चिंतित हैं. पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने प्रत्येक जिले के डीसीपी को निर्देश दिए हैं कि वो पिकेट जांच बढ़ाने से लेकर तमाम ऐसे उपाय करें जिससे झपटमारी की वारदातों पर लगाम लग सके.

राजधानी में सक्रिय झपटमारों पर नजर रखने के लिए कहा गया है. इसके अलावा ऐसी जगहों को चिन्हित किया जा रहा है जहां झपटमारी की वारदात ज्यादा होती है वहां पुलिस सड़क के दोनों तरफ बाइक पर गश्त करेगी.

मोबाइल की झपटमारी हो रही ज्यादा
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में झपटमारी की अधिकांश वारदातों में मोबाइल झपटे जा रहे हैं. सड़क पर चलते समय जो लोग मोबाइल हाथ में रखते हैं या बात करते हुए चलते हैं, वे झपटमारों के लिए आसान शिकार होते हैं. वहीं बीते तीन माह के अंदर ठंड की वजह से लोग ज्यादा कपड़े पहनकर रहते थे, इसलिए चेन एवं मंगलसूत्र झपटने की वारदातें बेहद कम हुई हैं.

दिल्ली से बाहर बेचे जाते हैं मोबाइल
पुलिस के अनुसार बदमाशों के लिए झपटे गए मोबाइल को ठिकाने लगाना बेहद आसान होता है. ये मोबाइल दिल्ली से बाहर बेचे जाते हैं और अधिकांश का आईएमईआई नंबर भी बदल दिया जाता है. इसलिए उस मोबाइल या झपटमार तक पहुँचना पुलिस के लिए बेहद मुश्किल होता है.

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