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गुरुजी से जाने 2 दिन जन्माष्टमी मनाने का महत्व और किस तारीख को मनाएं जन्माष्टमी? - ईटीवी भारत

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस साल जन्माष्टमी तिथि को लेकर लोग काफी कन्फ्यूज हैं. कुछ लोग 11 अगस्त तो कुछ 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानकर चल रहे हैं.

Mahant Surendranath Avadhoot
महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत

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Published : Aug 10, 2020, 6:54 PM IST

नई दिल्ली: हर साल की तरह इस साल भी कृष्ण जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी के मुहर्त को लेकर लोगों के बीच उलझन की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी की तारीख पड़ रही है ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी को किस दिन मनाएं, इसको लेकर लोग असमंजस में है. इसके लिए ईटीवी भारत ने कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत से खास बातचीत की.

जानें कब मनाएं श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव



11 को गृहस्थ जीवन से जुड़े लोग मनाएं जन्माष्टमी

महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने बताया कि हम पिछले कई सालों से जन्माष्टमी की 2 तारीख देखते आ रहे हैं. जिसको लेकर अक्सर लोग असमंजस में रहते हैं. लेकिन इसके लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. क्योंकि कुछ हिस्सों में जन्माष्टमी 1 दिन और कई हिस्सों में दूसरे दिन मनाई जाती है. क्योंकि भगवान कृष्ण के केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में भक्त हैं.

इस साल 11 और 12 अगस्त की तारीख जन्माष्टमी के लिए आ रही है जिसमें से 11 अगस्त को जन्माष्टमी गृहस्थ जीवन से जुड़े जो श्रद्धालु मनाएं. वहीं 12 अगस्त को जन्माष्टमी ज्यादातर संन्यासी और वैष्णव जीवन से जुड़े जो श्रद्धालु है वो मनाएं.


11 तारीख की मध्यरात्रि को प्राकट्य का शुभ मुहूर्त

महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत में बताया कि इस वर्ष जन्माष्टमी कोरोना काल में आ रही है. ऐसे में लोगों से अपील है कि वह ज्यादा शोर-शराबे और बड़े-बड़े कार्यक्रमों के साथ जन्माष्टमी का आयोजन ना करें. सोशल डिस्टेंस ऑफ सभी सावधानियों के साथ ही त्यौहार को मनाएं. क्योंकि भगवान कृष्ण केवल भक्ति भाव से प्रसन्न होते हैं आप घर पर रहकर सच्ची श्रद्धा से जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करें और मध्य रात्रि को पंचामृत और पंजीरी से भगवान को भोग लगाकर त्योहार मनाए. उन्होंने बताया कि 11 तारीख की मध्य रात्रि को भगवान कृष्ण का प्राकट्य होगा और 12 अगस्त की तारीख को रात 11:06 तक ही अष्टमी तिथि होगी.

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