नई दिल्ली: फैटी लिवर की बीमारी युवाओं में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. शराब का सेवन नहीं करने वाले लोग भी खराब जीवनशैली और गलत खानपान के कारण फैटी लिवर से पीड़ित हो रहे हैं. लिवर में जमा यह फैट डायबिटीज का मरीज बना सकता है, जो ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक सहित कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है. इसलिए फैटी लिवर की समस्या को नजरअंदाज करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. समय रहते जीवनशैली सुधार और पौष्टिक खानपान से फैटी लिवर की समस्या से बचा जा सकता. यह बातें यकृत और पित्त संस्थान (आइएलबीएस) के निदेशक डा. एसके सरीन ने कही. वह आइएलबीएस में आयोजित हेपेटाइटिस दिवस कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उल्लेखनीय है कि आइएलबीएस हर वर्ष चार दिसंबर को हेपेटाइटिस दिवस मनाता रहा है. इसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस से बचाव के प्रति जागरूक करना है. इस कार्यक्रम में 32 स्कूलों के छात्र-छात्राएं और नर्सिंग कालेज के छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए. इस दौरान डॉ. एसके सरीन और आइएलबीएस अस्पताल के डाक्टरों ने छात्रों को लिवर स्वास्थ्य रखने का पाठ पढ़ाया.
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डॉ. सरीन ने कहा कि लिवर में फैट होने से शरीर में कोलेस्ट्रोल बढ़ता है, जो ब्लड प्रेशर का कारण बनता है. इसके अलावा लिवर में फैट होने पर पैंक्रियाज पर इंसुलिन बनाने का दबाव ज्यादा बढ़ता है. इस वजह से पैंक्रियाज की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इससे डायबिटीज की बीमारी होती है. इसलिए यह समझना जरूरी है कि 'आपका लिवर, आपका जीवन' है. इसलिए जंक फूड का इस्तेमाल न करें. लड़कों के कमर की साइज 90 सेंटीमीटर और लड़कियों की कमर की साइज 80 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. कार्यक्रम में मौजूद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अस्पतालों में किडनी, लिवर और कैंसर के मरीज अधिक देखे जाते हैं. इसके प्रति जागरूकता जरूरी है. उन्होंने आइएलबीएस द्वारा लिवर की बीमारियों के प्रति जागरूकता की पहल की सराहना की.
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