नई दिल्ली:आईआईटी दिल्ली के रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप ने उद्योग को मोटर चालित लकड़ी के मोती बनाने वाले उपकरण बनाने की नई तकनीक हस्तांतरित की है. इस उपकरण से ग्रामीण क्षेत्र, विशेषकर मथुरा, वृन्दावन और भारत के उत्तर प्रदेश के पड़ोसी क्षेत्रों की महिलाओं को लाभ होगा. प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का लाइसेंस हरराज इंडस्ट्रीज को दिया गया है, जो डिवाइस बनाने और इसे बेचने की योजना बना रही है. डिवाइस का डिज़ाइन भारतीय पेटेंट कार्यालय में पंजीकरण के तहत संरक्षित है. प्रौद्योगिकी को फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआईटीटी) आईआईटी दिल्ली के माध्यम से स्थानांतरित किया गया था.
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एसके साहा ने कहा कि, "एसी मोटर चालित लकड़ी के मोती बनाने का यह उपकरण एक दशक में एक परियोजना के रूप में विकसित हुआ है, जिसका कारण रूटैग आईआईटी दिल्ली टीम के निरंतर प्रयास हैं, जिन्होंने कम मेहनत में अधिक काम करने और महिला कारीगरों की मेहनत को कम करने के लिए कड़ी मेहनत की है.'' प्रोफेसर साहा ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के पीएचडी छात्र यशवंत प्रसाद द्वारा प्रस्तावित डिवाइस का तीसरा और नवीनतम संस्करण लगभग शोर रहित है. इसने कारीगरों के दैनिक उत्पादन और कमाई को भी लगभग 700-800 रूपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 3000 प्रति दिन तक कर दिया है.