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दुनिया के 50 फीसदी लोग नफरत में रहेंगे तो विश्वशांति की कल्पना संभव नहीं- इंद्रेश कुमार

आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि दुनिया के 50 फीसदी लोग नफरत में रहेंगे तो विश्वशांति की कल्पना संभव कैसे की जा सकती है. RSS leader Indresh Kumar, Suresh bhaiya ji joshi, Release of Dil Ki Geeta book

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 20, 2023, 4:36 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जी जोशी ने शुक्रवार को दिल की गीता ग्रंथ का विमोचन किया. गीता को समय की जरूरत बताते हुए कहा कि हम सभी के अंदर भागवत गीता का बीज है. उन्होंने ऐलान किया कि सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता है.

जबकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने इजरायल, फिलिस्तीन, यूक्रेन और रूस का नाम लिए बिना कहा कि मुस्लिम, ईसाई और यहूदी कुल आबादी के 50 फीसदी हैं लेकिन इतना बड़ा समाज आज की तारीख में गुस्से व नफरत में जीते हुए आपस में लड़ रहा है, ऐसे में विश्वशांति की कल्पना नहीं की जा सकती है.

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सुरेश भैय्याजी जोशी ने अपने उद्बोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारतीय ऋषियों, मुनियों और भारतीय चिंतन ने समय-समय पर समरसता का संदेश दिया है. उपनिषद में भी भेद भाव नहीं, सर्वकल्याण की बात कही गई है. पूर्व सरकार्यवाह ने कहा कि भगवान ने कहा है कि सज्जनों और धर्म की रक्षा के लिए वे बार-बार आएंगे. भैय्याजी जोशी ने कहा कि गीता में समरसता, समस्त जीवजगत और मानव समाज का उल्लेख किया गया है.

सभी के कल्याण की कामना की बात कही गई है. भैय्या जी जोशी ने कहा कि संकट तब आता है कि जब दुनिया दुर्जनों से भरी होगी. भैय्याजी जोशी ने गीता के संदेशों को संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए आवश्यक बताया. गीता में कर्मशील और भक्ति से पूर्ण संदेश दिया गया है. परंतु यह भक्ति और कर्म बिना ज्ञान के करना मूर्खता है. ये बातें सिर्फ हिंदुओं या एक समुदाय के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है. धर्म युद्ध में भगवान कृष्ण ने कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए अधर्म के रास्ते पर भी चलना पड़े तो यह गलत नहीं है. अर्थात महत्वपूर्ण है धर्म की रक्षा करना.

आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कार्यक्रम सराहना करते हुए सामाजिक समरसता पर जोर दिया. उन्होंने कहा मालिक यानी ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु गॉड सभी एक ही है. जिसको आसान शब्दों में ऊपर वाला कहा गया है. दीन, कुरान, पंथ, गीता, ग्रंथ एवं मतपंथों सभी में समरसता, प्यार, शांति और अपनेपन की बात कही गई है.

इंद्रेश कुमार ने इस अवसर पर गीता के उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान खून से नहीं श्रम से कमाया जाता है. गीता में श्री कृष्ण ने भी यही कहा था कि कर्म किए जा, फल की चिंता न कर. अंग्रेजों को भी जब इस देश से भगाया गया था तो ... तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा के नारे सामने आए थे. उन्होंने कहा कि बापू ने भी रोटी कपड़ा और मकान की नहीं स्वाभिमान की बात की थी.

दिल्ली विश्विद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, भारतीय सिंधु समाज, हिमालय परिवार और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित सामाजिक समरसता और सिंधी समाज कार्यक्रम में पुस्तक "दिल की गीता" का विमोचन हुआ. इस मौके पर कृष्ण द्वारा गीता में दिए उपदेशों को उर्दू और हिंदी में अनुवाद भी किया गया. गीता को उर्दू में ख्वाजा दिल मोहम्मद, हिन्दी में डॉक्टर प्रदीप कुमार जोशी और उर्दू को देवनागरी में तैयार किया है पंडित लक्ष्मण महाराज ने और किताब की संपादक हैं प्रोफेसर गीता जोशी. पुस्तक दिल की गीता को कविता (नज़्म) आधारित अनुवाद किया गया है.

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