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Raksha Bandhan 2023: दिल्ली में किन्नर समाज किस तरह मनाता है रक्षाबंधन?, जानिए - दिल्ली की ताजा खबर

देशभर में हर साल रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं दिल्ली में किन्नर समाज भी इस त्योहार को मनाते हैं. ऐसे में आईए जानते हैं किन्नर समाज रक्षाबंधन को किस तरह से मनाते हैं.

दिल्ली में किन्नर समाज किस तरह मनाता है रक्षाबंधन
दिल्ली में किन्नर समाज किस तरह मनाता है रक्षाबंधन

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 28, 2023, 5:05 PM IST

दिल्ली में किन्नर समाज किस तरह मनाता है रक्षाबंधन

नई दिल्ली: बहन-भाइयों के बीच पवित्र रक्षाबंधन त्योहार मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा. भाई-बहनों के साथ किन्नर समाज भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाता है. यह वही किन्नर समाज है, जिनको जन्म से ही समाज से अलग कर दिया जाता है. जिन्हें समाज में बराबरी के हक के लिए संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि उनके त्योहार मनाने का तरीका कुछ अलग होता है.

मुस्कान नाम की किन्नर ने बताया कि वो हर साल अपने सगे भाई को राखी बांधने जाती है. उनका भाई अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रहता है. अभी कुछ दिन पहले वीडियो कॉल पर बात हुई थी. उस समय उन्होंने अपने भाई से रक्षाबंधन पर घर आने का वादा किया था. वहीं, लक्ष्मी ने बताया कि इस साल रक्षाबंधन के दिन अपने गांव नहीं जा पाएंगी. इसलिए वो अपने गुरु के साथ दिल्ली में अपने समुदाय के लोगों को राखी बांधकर रक्षाबंधन सेलिब्रेट करेंगी. उन्होंने बताया कि वह अभी अपने परिवार से लगातार बात करती है. अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अपने परिवार को देती है.

किन्नरों से जुड़ी कुछ जानकारियां

किन्नर समुदाय के लिए समाजसेवा का काम करने वाली रिहाना यादव ने बताया कि वह भी ट्रांसजेंडर समुदाय की है. किन्नर समाज में भी रक्षा बंधन के त्योहार को खूब धूमधाम से मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि हर इंसान को रिश्तों की जरूरत होती है. भाई रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसकी कीमत हर बहन जानती है.

बता दें, देश के कई राज्यों में किन्नर समुदाय के लोग पेड़ों या अपने आदिदेव महादेव या ईस्ट देव महादेव को ही अपना भाई मान कर उन्हें रक्षाबंधन पर राखी बांधती हैं. किन्नर समाज के कुछ लोग इस पर्व को भुजारिया पर्व भी कहते हैं. इस पर्व की तैयारी किन्नर समाज में 10 दिन पहले शुरू हो जाती है. इस दौरान गेहूं के दानों को छोटे-छोटे मिट्टी के पात्रों में भरकर रख देते हैं. जब वो अंकुरित हो जाते हैं, तो उसकी अपने समाज के नियमों से पूजा कर जल में प्रवाहित करते हैं.

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