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जानिए कैसे, हाई कटऑफ बन रही छात्रों और कॉलेज के बीच की दीवार

यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की तरफ से कटऑफ लिस्ट को हाई रखा जा रहा है. जिसके कारण 98-99 प्रतिशत नंबर ना लाने वाले छात्रों को एडमिशन मिलने में परेशानी हो रही है. डीयू के छात्रों ने कटऑफ की जगह पॉपुलर कोर्सों में एंट्रेंस की सुविधा करने की बात कही है.

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Published : Jul 17, 2019, 9:28 PM IST

High cutoff etv bharat

नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों से तमाम यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए जारी की जा रही कटऑफ लगातार बढ़ती जा रही हैं. जो कट-ऑफ पहले 80-90 फ़ीसदी तक रहती थी. वह अब 98 और 99 पर पहुंच गई है. यानी जिस छात्र के 99-98 फ़ीसदी नंबर है. वही टॉप यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकता है.

अगर बात करें दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) की तो इस साल डीयू की कटऑफ लिस्ट 99 के ऊपर गयी थी, जो कि बहुत ज्यादा थी. वही अंबेडकर यूनिवर्सिटी की बात की जाए तो उसकी भी कटऑफ 98 के पार पहुंची थी.

हाई कटऑफ की वजह से छात्रों को एडमिशन नहीं मिल पर रहा है.


छात्र ला रहे 99 और 98 फ़ीसदी तक नंबर
कट ऑफ लिस्ट के लगातार ऊपर जाने पर ईटीवी भारत ने डीयू के सीनियर छात्रों और अंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से बात की. जिस पर डीयू के छात्रों का कहना था कि कटऑफ ऊपर जाने के पीछे कारण है कि छात्र 99 और 98 फ़ीसदी नंबर ला रहे हैं. तभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की तरफ से कटऑफ लिस्ट को हाई रखा जा रहा है.

12वीं के रिजल्ट पर तय होती है कट ऑफ
12वीं में आए छात्रों के नंबर मायने रखते हैं. इसलिए जब-जब 12वीं में छात्रों के 98-99 प्रतिशत नंबर आते हैं तब कटऑफ को इतना ऊपर रखा जाता है. क्योंकि उस श्रेणी में नंबर लाने वाले छात्रों की संख्या अधिक रहती है और सीटें कम.

कट ऑफ की जगह हो एंट्रेंस की सुविधा
छात्रों ने कहा कि अगर कटऑफ की जगह पॉपुलर कोर्सों में एंट्रेंस की सुविधा की जाए. तो ज्यादा छात्रों को कॉलेजों में दाखिले का मौका मिल सकता है. वहीं अधिकतर बोर्ड से जो छात्र डीयू समेत तमाम यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए आते हैं. उनके बोर्ड के नंबरों का क्राइटेरिया अलग-अलग होता है. इस कारण भी उन्हें दाखिले में परेशानी आती है.


इस विषय पर ईटीवी भारत ने अंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संतोष सिंह से भी बात की. उनका कहना था कि हम लगातार 99 और 98 की ओर बढ़ते जा रहे हैं. जिसके कारण वो छात्र छूटते जा रहे हैं. जो कि इतने नंबर नहीं ला पाते और वह उस तरीके से सक्षम नहीं होते हैं. हमने सोचा था कि हम उन बच्चों को अंबेडकर यूनिवर्सिटी में लेकर आएंगे और उनको अच्छे भविष्य के लिए ट्रेन करेंगे. लेकिन समय के साथ यह नहीं हो पा रहा.

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