नई दिल्ली:वैक्सीनेशन में वरीयता देने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केद्र सरकार से जवाब-तलब किया है. दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा है कि कोरोना के वैक्सीनेशन की सबको जरूरत है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि केवल 60 साल के ऊपर के लोगों को ही कोरोना का वैक्सीन देने में प्राथमिकता क्यों दे रही है.
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की क्षमता का नहीं हो रहा उपयोग
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि कोरोना का वैक्सीन बनाने वाली दो कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इन कंपनियों के वैक्सीन दूसरे देशों को या तो बेचे जा रहे हैं या दान किए जा रहे हैं. दरअसल सुनवाई के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने कहा कि वे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगा सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि जब ये दोनों कंपनियां ये कह रही हैं कि वे विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दे सकती हैं तो ऐसा लगता है कि उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है.
दिल्ली बार काउंसिल से वकीलों की संख्या पूछी
भारत बायोटेक की ओर से पेश वकील विपिन नायर ने ये जानने की कोशिश की है कि अगर पूरी न्यायपालिका से जुड़े लोगों को वैक्सीन दी जाती है तो कितने वैक्सीन की जरूरत होगी. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को निर्देश दिया कि वे ये बताएं कि वकीलों की संख्या कितनी है. कोर्ट ने वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों को निर्देश दिया कि वे वैक्सीन बनाने की अपनी पूरी क्षमता के बारे में हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने दोनों कंपनियों से पूछा कि क्या आपकी क्षमता का पूरा उपयोग हो रहा है और क्या आपकी क्षमता बढ़ाई जा सकती है.
केंद्र से वैक्सीन की परिवहन क्षमता के बारे में पूछा
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा और अनिल सोनी ने कहा कि किस वर्ग के लोगों को वैक्सीन देना है ये सरकार का नीतिगत मामला है. ये फैसला विशेषज्ञों की राय के मुताबिक होता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे वैक्सीन के परिवहन की अपनी क्षमता को लेकर हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वैक्सीन के परिवहन की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है.