नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 'इंडो स्पिरिट्स' के संस्थापक समीर महेंद्रू को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दे दी. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता एक पोषित मौलिक अधिकार है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपी को जमानत देने में न्यायालय के विवेक का प्रयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में नहीं किया जाना चाहिए. महेंद्रू ने चिकित्सा के आधार पर जमानत मांगी थी कि वह जानलेवा बीमारियों से पीड़ित है, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है.
ईडी ने याचिका का विरोध किया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि महेंद्रू की हालत स्थिर है. हालांकि मामले पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा कि एक इंसान की स्वास्थ्य स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसलिए उसे छह सप्ताह के लिए जमानत दे दी. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के सबसे महत्वपूर्ण आयामों में से एक है. प्रत्येक व्यक्ति को अपना पर्याप्त और प्रभावी उपचार कराने का अधिकार है.
पीठ ने रेखांकित किया कि जमानत देने के विवेक का प्रयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि स्वतंत्रता एक पोषित मौलिक अधिकार है. इस संबंध में अदालत ने विजय अग्रवाल के माध्यम से पारोकर बनाम प्रवर्तन निदेशालय में हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया. विजय अग्रवाल थ्रू पारोकर बनाम प्रवर्तन निदेशालय को इस परिदृश्य में ध्यान देने की आवश्यकता है. क्योंकि इस अदालत की समन्वय पीठ ने इस मामले में जमानत को बीमार या दुर्बल से जोड़ा, जो कि अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने के मौलिक अधिकार के साथ जुड़ा हुआ है.