नई दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने धौला कुआं स्थित मस्जिद सहित 100 साल पुरानी संरचनाओं की प्रबंध समिति की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि 31 जनवरी, 2024 तक संपत्ति के खिलाफ कोई तोड़फोड़ की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की एकल-न्यायाधीश पीठ ने दो नवंबर के अपने आदेश में दिल्ली सरकार की धार्मिक समिति, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली कैंट के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और दिल्ली वक्फ से सवाल किया. कोर्ट ने इन संस्थानों पर बोर्ड याचिका पर जवाब दाखिल करेगा.
हाई कोर्ट में दावा: याचिकाकर्ता किचनर झील, धौला कुआं स्थित शाही मस्जिद, मदरसा और क़ब्रिस्तान (कब्रिस्तान) कंगाल शाह की प्रबंध समिति ने हाई कोर्ट में दावा किया कि संरचनाएं एक शताब्दी से अधिक समय से अस्तित्व में थीं और मुसलमानों के लिए प्रार्थना करने के लिए ऐतिहासिक उपयोग में थी. साथ ही दफनाने और अन्य धार्मिक संस्कार भी वहां हो रहे थे.
याचिकाकर्ता के वकील फुजैल ए अय्यूबी ने अदालत का ध्यान 11 दिसंबर, 1976 की राजपत्रित अधिसूचना की ओर आकर्षित किया, जिसमें कब्रिस्तान को वक्फ संपत्तियों की सूची में शामिल किया गया है. न्यायमूर्ति जालान ने कहा कि उन्होंने मस्जिद के संबंध में 1978 के बाद से वक्फ बोर्ड और डीडीए के बीच हुए संचार को भी रखा, जो प्रथम दृष्टया दिखाता है कि मस्जिद को डीडीए द्वारा भी वक्फ संपत्ति के रूप में माना जाता था.